हरदोई। यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद आई योगी सरकार में भी हरदोई जनपद में आए दिन बड़े-बड़े घोटालों के मामले सामने आ रहे हैं। जिसे लेकर सीएम योगी की कार्यशैली से प्रेरित होकर ग्रामीड अब घोटाले बाजों व भ्रस्टाचारियों के खिलाफ जंग का आवाहन शुरू कर दिया है और कंपनी आवाज बुलंद कर शिकायतों करना भी जमकर शुरू कर दिया है। लेकिन सीएम भ्रस्टाचार व भ्रास्टाचारियों के खिलाफ भले ही शख्त रवैया अपना रहे हों, लेकिन हरदोई जनपद के कुछ अफसर घूसखोरी से खुलेआम भ्रस्टाचारियों को बचाने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं। चाहें वो अवैध हॉस्पिटल के खिलाफ चेदी हुई जंग हो या फिर ग्राम प्रधान के द्वारा किया हुआ बड़ा घोटाला। अफसर सभी के किए गलत कार्यों पर पर्दा डालकर सीएम योगी की आखों में धूल झोंक रहे हैं। साथ ही खुलेआम जनता को धमका-डराकर उनसे भ्रस्टाचारियों के पक्ष में रिपोर्ट वापस करा रहे है। ये उस वक्त साफ बयां हो गया, जब हरदोई जनपद के हरियावां ब्लॉक के अर्वा गजाधरपुर ग्राम के आवास घोटाले में जांच करने पहुंचे अधिकारीयों ने घोटाले की शिकायत करने वाले शिकायतकर्ताओं पर ही गालियों व धमकियों का कहर बरपाना शुरू कर दिया।
आला अधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार लिखी बोलेरों गाडी से जांच करने पहुंचे थे। अब से पहले भी चैनल ने 2 घोटालों को उजागर किया था। खबर चलने के बाद पहुंची अधिकारियों की टीम ने शिकायतकर्ताओं के साथ गालीगलौज करनी शुरू करदी। शिकायतकर्ताओं ने घोटाले की जांच करने पहुंचे जिले के परियोजना निदेशक पीडी पर गाली गलौज व मारपीट का बड़ा आरोप लगाया है। शिकायतकर्ताओं ने आरोपी अधिकारीयों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर भी दी है और कार्रवाई के लिए अपर जिलाधिकारी विपिन कुमार मिश्रा को आरोपी अफसर के खिलाफ भी शिकायती पत्र दिया है। जिसकी जांच जिले के परियोजना निदेशक के पास गई। जिसका सच जानने वो गांव पहुंचे। फिलहाल इस पूरे मामले जिले के आला अफसरों ने चुप्पी साध ली है। कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया है। क्योंकि मामला दो-दो भ्रस्टाचारी भाइयों का है।
दरअसल पूरा मामला आवास घोटाले का है। तस्वीरों में नजर आ रहे ये लोग विकास खंड हरियावां के ग्राम पंचायत अरवा गजाधरपुर के के रहने वाले है। इनके गांव में प्रधान और सेक्रेटरी ने मिल कर सरकारी धन का ऐसा बंदर बांट किया है, कि इंसानियत भी शर्मसार हो गयी है। इलाके के रहने वाले मृतक लोगों का फर्जी खाता खोल कर उनको पहले तो इंदिरा आवास आवंटित किये गए थे। आवास के लिए आने वाला 70 हजार रुपए प्रति खाता ट्रांसफर हुआ इसके अलावा इन्हीं खतों में गरीब मजदूरों के लिए आएने वाला रुपया मनरेगा का रुपया भी इन्हीं खातों में ट्रांसफर हुए है। जिस तरह तकरीबन लाखों का खेल अफसर और नेता ने मिल कर डाला है। पात्र लोगों के खातों में से भी बैंक कर्मियों व अधिकारियों की मिलीभगत से आवास का पैसा फर्जी तरीके से निकाल लिया गया और उन्हें कानों-कान खबर तक न हुई। इन गंभीर मामलों पर प्रधान के खिलाफ ग्राम वासियों ने मोर्चा खोला व अफसरों को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।