Kalyan Singh: जब मंदिर आंदोलन शिखर पर था तब सिर्फ कुछ ही चेहरे जहन में आते है जिसमें से कल्याण सिंह प्रमुख थे। कल्याण सिंह का राजनीतिक कैरियर बुलंदियों पर था। मंदिर आंदोलन तो काफी समय से चल रहा था पर उसको दिशा और आगे बढ़ाने का काम किया था कल्याण सिंह ने। कल्याण सिंह ने राम मंदिर के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया था।
दो नवंबर 1990 में कारसेवा के दौरान लगभग डेढ़ हजार कारसवेकों की मौत हो गई थी। उस समय कल्याण सिंह ने कहा था हम भविष्य में ऐसी सरकार बनाएंगे जो राम भक्तों पर गोली नहीं उनपर पुष्प वर्षा करेगी। यह बात सही भी हुई। 1991 में चुनाव में बीजेपी की सरकार आई और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने।
कल्याण सिंह ने छह दिसंबर 1992 में कार सेवा का ऐलान किया था। वहीं 1990 में यूपी के सीएम मुलायम सिंह ने कहा था वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। समय के साथ हालात बदले कार सेवा के दौरान किसी भी कार सेवक को कोई परेशानी नहीं होगी, यह मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भरोसा दिया था। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के भरोसे पर कार सेवक पूरी तरह से खरे उतरे।
विवादित ढांचे के गिराए जाने के बाद कल्याण सिंह ने छह दिसंबर 1992 को अपनी सरकार दांव पर लगा दी। कल्याण सिंह ने विवादित ढ़ाचे को गिराने की पूरी जिम्मेदारी खुद ली, और मुख्यमंत्री पद को कुर्बाद कर दिया। कल्याण सिंह के इस्तीफे के बाद उनकी सरकार तो चली गई। लेकिन राम भक्तों की नजर में वह हीरो बन गए। 1997 से नवबंर 199 तक वे फिर से सीएम बने। इसके बाद पार्टी के मुख्य नेतृत्व से अनबन के बीच वह बीजेपी से दूर हो गए।