जोधपुर। साल 2013 में स्वयंभू धर्मगुरू बने आसाराम बापू ने कभी ये नहीं सोचा था। उन्हें पहले जेल जाना पड़ेगा। फिर जमानत के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की गणेश परिक्रमा के बाद भी राहत नहीं मिलेगी। बड़े से बड़े नामी वकीलों की फौज भी उनके लिए उम्मीद की किरण नहीं जागा पाएगी। आखिरकार इसको न्याय के मंदिर से राहत नहीं बल्कि सजा मिली। लंच के बाद सजा पर जज ने अपना फैसला पढ़ना शुरू कर दिया। इस फैसले में जज ने आसाराम को नाबालिग से बलात्कार और साजिश रचने का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही सह आरोपी शिल्पा और शरतचंद्र को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई।
बीते 7 अप्रैल को नाबालिग से बलात्कार के मामले में कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली थी। इस मामले मे 25 अप्रैल को फैसला सुनाने का ऐलान किया गया था। इस मामले में कोर्ट ने सुबह ही सुनवाई शुरू करने के लिए जेल परिसर को चुना वहीं पर कोर्ट लगी। मामले से जुड़े सभी लोग पेश हुए। जज मधुसूदन शर्मा ने कोर्ट की कार्यवाही शुरू कर दी। आसाराम और उसके भक्त कोर्ट से राहत की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन जज ने आसाराम समेत सह आरोपी शिल्पी और शरतचंद्र को दोषी करार दिया। इस मामले में पुलिस ने कोर्ट ने अपील की थी कि सजा का ऐलान भी 25 अप्रैल को कर दिया जाए। क्योंकि दुबारा इस तरह की व्यवस्था को बनाए रखना संभव नहीं था।
लिहाजा कोर्ट ने इसके बाद सजा को लेकर अपनी सुनवाई शुरू कर दी। इस दौरान आसाराम के वकीलों की ओर से उम्र की दुहाई देते हुए। सजा को कम से कम करने की अपील की गई। इसके साथ ही दोषी करार होते ही सभी आरोपी बेसुध हो गए। इसके बाद कोर्ट में आसाराम राम राम का नाम जपने लगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपी ने अपनी भक्त और उसकी बेटी के साथ उनके विश्वास का छल किया। इसके साथ ही इस पूरी घटना में शिल्पी और शरतचंद्र इस घटना को रचने के दोषी हैं।