नई दिल्ली। इसकी जानकारी रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने बीते शुक्रवार को लोकसभा में में दी। रिपोर्ट के मुताबिक जूनियर कमिशन के रैंकों में 52,000 से ज्यादा नाविक कर्मी और वायुसेना के अधिकारियों की कमी है। सबसे ज्यादा कमी आर्मी सेना में जवानों की है। न सिर्फ आर्मी सेना में बल्कि वायुसेना और नौसेना में भी जवानों की कमी है। वहीं रक्षा मंत्री का कहना है कि सरकार ने इसपर कदम उठाए हैं कि जवानों की कमी को दूर किया जाए। इसके लिए इसमें प्रशिक्षण क्षमता में वृद्धि, निरंतर छवि निर्माण, स्कूलों में प्रेरक व्याख्यान, करियर संबंधी मेले और प्रदर्शनियों में भागीदारी और सशस्त्र सेनाओं में चुनौतीपूर्ण करियर का फायदा उठाने के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए प्रचार अभियान शामिल हैं।
बता दें कि इससे पहले संसद में रखी गई नियंत्रक और कैग रिपोर्ट में बताया गया कि कोई युद्ध छिड़ने की स्थिति में सेना के पास महज 10 दिन के लिए ही पर्याप्त गोला-बारूद है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया कुल 152 तरह के गोला-बारूद में से महज 20% यानी 31 का ही स्टॉक संतोषजनक पाया गया, जबकि 61 प्रकार के गोला बारूद का स्टॉक चिंताजनक रूप से कम पाया गया।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय सेना के पास कम से कम इतना गोला-बारूद होना चाहिए, जिससे वह 20 दिनों के किसी सघन टकराव की स्थिति से निपट सके। हालांकि इससे पहले सेना को 40 दिनों का सघन युद्ध लड़ने लायक गोलाबारूद अपने वॉर वेस्टेज रिजर्व (WWR) में रखना होता था, जिसे 1999 में घटा कर 20 दिन कर दिया गया था। ऐसे में कैग की यह रिपोर्ट गोलाबारूद की भारी किल्लत उजागर करती है।
साथ ही कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2016 में कुल 152 तरह के गोला-बारूद में केवल 31 ही 40 दिनों के लिए, जबकि 12 प्रकार के गोलाबारूद 30 से 40 दिनों के लिए, वहीं 26 प्रकार के गोलाबारूद 20 दिनों से थोड़ा ज्यादा वक्त के पर्याप्त पाए गए। एक और सवाल के जवाब में, मंत्री ने कहा कि 2014 से 2016 तक सेना में 245 महिला अधिकारियों की भर्ती की गई, वायुसेना में 486 की भर्ती हुई जबकि नौसेना में इस दौरान 135 महिलाओं अधिकारियों को भर्ती किया गया।