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मंगल और वृहस्पति ग्रह के बीच नासा ने ढूंढा विशाल समुन्द्र, खुला कई रहस्यों का राज..

mangal 2 मंगल और वृहस्पति ग्रह के बीच नासा ने ढूंढा विशाल समुन्द्र, खुला कई रहस्यों का राज..

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा लगातार आसमान में घटने वाली घटनाओं पर नजर बनाये हुए है और कई रहस्यों का भी जानने की कोशिश कर रही है। इस मिशान में नासा का काफी सफलता मिल रही है। इस बीच नासा ने आसमान पर एक विशाल समुन्द्र खोज लिया है।
नासा के वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है कि, सेरेस, बृहस्पति और मंगल के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट में सबसे बड़ी वस्तु है जो वास्तव में एक विशालतम महासागर है, इसकी कठोर सतह के नीचे नमकीन पानी का एक बड़ा भंडार और जलाशय मौजूद है।

mangal 2 मंगल और वृहस्पति ग्रह के बीच नासा ने ढूंढा विशाल समुन्द्र, खुला कई रहस्यों का राज..

इस नई खोज ने इस बौने ग्रह सेरेस में रुचि पैदा की है, यहां जीवन हो सकता है। इन निष्कर्षों ने खारे नमकीन जलाशय की भी पुष्टि की है, जो नमक से भरा जल है और महासागर का हिस्सा है। यह धीरे-धीरे जम भी रहा है।यह दावा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्था नासा के द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर किया गया है। इन आंकड़ों के आधार पर एक शोध पत्र जारी हुआ है जो नेचर एस्ट्रोनॉमी, नेचर जियोसाइंस और नेचर कम्युनिकेशंस नामक विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ है। जिसमें यह कहा जा रहा है कि सेरेस क्षुद्र ग्रह में नमकीन पानी का एक बड़ा जलाशय है जो अभी पूरी तरह से बर्फ से जमा हुआ है। शोधपत्र के इस दावे को सही ठहराते हुए नासा की वैज्ञानिक जूली कैस्टिलो भी यही मानती हैं कि पानी का यह जलाशय काफी ठंडा है और इसमें लवण की मात्रा भी काफी अधिक है।

नासा ने क्षुद्र ग्रह सेरेस में पानी मौजूद होने से संबंधित आंकड़ें अपने अंतरिक्ष यान DAWN की मदद से जुटाए हैं। सेरेस में पानी होने की बात पर अंतरिक्ष यान डॉन के प्रमुख अन्वेषक कैरोल रेमंड कहते हैं कि यह स्थिति सेरेस क्षुद्र ग्रह को अंतरिक्ष में मौजूद वैश्विक महासागर का दर्जा देती है। साथ ही कैरोल यह भी कहते हैं कि हम जानते हैं की वहां पानी काफी ज्यादा मात्रा में मौजूद है लेकिन यह दावा नहीं किया जा सकता है कि अंतरिक्ष में यह पानी का सबसे बड़ा स्त्रोत हो। सेरेस क्षुद्र ग्रह मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच मौजूद है।

सेरेस का व्यास लगभग करीब 950 किलोमीटर का है। सेरेस हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह है। जिसकी वजह से 2006 में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने इसे बौने ग्रह का दर्जा दे दिया गया था। असल में बौने ग्रह उस खगोलीय पिंड को कहते हैं जो क्षुद्र ग्रह से बड़े होते हैं और ग्रह से छोटे।”

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इस खबर के सामने आने से सेरेस ग्रह पर जीवन हो सकता है। इसकी जांच मे वैज्ञानिक लग गये हैं। इसके साथ ही उम्मीद की जी रही है कि, कई जानकारियां भी सामने आ सकती हैं।

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