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ट्रंप प्रशासन ने एच-1 बी वीजा नीति में बड़ा बदलाव करने का किया फैसला

नई दिल्ली: ट्रंप प्रशासन ने एच-1 बी वीजा नीति में अगले साल जनवरी से बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। अमेरिका की एच-1बी वीजा नीति के तहत विशेष व्यवसायों और रोजगार को नए तरीके से परिभाषित करने की है। नए प्रस्ताव के तहत अमेरिका की आईटी कंपनियों में वही विदेशी कर्मचारी काम कर पाएंगे जो सर्वश्रेष्ठ होंगे। अमेरिका के इस कदम से भारत की आईटी कंपनियों पर बड़े पैमाने पर असर पड़ सकता है। साथ ही भारतीय मूल के अमेरिकियों के स्वामित्व वाली छोटी और मध्यम आकार की कंपनियां भी इससे प्रभावित होंगी।

 

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अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा इस संबंध में जनवरी 2019 तक नया प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य विशेष व्यवसाय की परिभाषा को संशोधित करना है ताकि एच-1बी वीजा के माध्यम से बेहतर और प्रतिभाशाली विदेशी नागरिकों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।

 

डीएचएस ने कहा कि वह अमेरिकी कामगारों और उनके वेतन भत्तों के हितों को ध्यान में रखते हुए एच1बी वीजा के नियमों में संशोधन करेगा। अमेरिकी सरकार ने कहा कि एच-1बी वीजा धारकों को नियोक्ताओं से उचित वेतन सुनिश्चित करने के लिए गृह सुरक्षा विभाग और भी कदम उठाएगा।

 

अमेरिका एच-1बी वीजा में उस नियम को खत्म करने की तैयारी कर रहा है, जिससे हजारों आव्रजक पेशेवरों के जीवन साथी अमेरिका में कार्य करने के पात्र हो जाते हैं। इस नियम को समाप्त करने से 70 हजार से अधिक एच-1बी वीजा धारक प्रभावित होंगे। यह वीजा एच1बी वीजा धारकों के पत्नी या पति को दिया जाता है। ओबामा प्रशासन ने 2015 में इसे शुरू किया था।

अमेरिका में पिछले साल 60,394 भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिले जबकि यहां स्थायी तौर पर रहकर काम करने की छूट देने वाली इस सुविधा के लिए छह लाख भारतीय इंतजार कर रहे थे। वहीं अप्रैल, 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, 6,32,219 भारतीय प्रवासी, उनकी पत्नियां और बच्चे ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं। पिछले साल जिन 60,394 भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिले, उनमें से 23,569 लोगों को रोजगार के आधार पर ये कार्ड मिले। अमेरिका में ग्रीन कार्ड प्राप्त होने के बाद व्यक्ति स्थायी तौर पर यहां रह सकते हैं और काम कर सकते हैं।

 

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