एजेंसी, नई दिल्ली। हर बार की तरह बाबा बफार्नी की यात्रा यानी अमरनाथ यात्रा आषाढ़ मास की शिव चतुर्दशी पर एक जुलाई से प्रारंभ होकर रक्षा बंधन यानि की 15 अगस्त तक चलेगी। इच्छुक व्यक्ति रजिस्ट्रेशन 2 अप्रैल से करवा सकेंगें जो अगस्त के प्रथम सप्ताह तक जारी रहेंगे। यात्रा की कुल अवधि 46 दिन रहेगी। पिछले साल यह यात्रा 60 दिन की थी। रजिस्ट्रेशन देश भर की जम्मू एंड कश्मीर व पंजाब नेशनल बैंक की चार सौ से अधिक शाखाओं में किए जाएंगे।
यात्रियों के लिए इन बातों का जानना है जरूरी:
यात्रा की व्यवस्था संभालने वाले श्राइन बोर्ड के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार गत गुरुवार को राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि बालटाल व पहलगाम मार्ग से प्रतिदिन 7500 यात्रियों को पवित्र अमरनाथ गुफा तक जाने दिया जाएगा।
इसके अलावा हेलिकाप्टर से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अलग रहेगी। रजिस्ट्रेशन कराने वालों को श्राइन बोर्ड द्वारा निर्धारित शासकीय अस्पतालों के मेडिकल आफीसर द्वारा दिया गया मेडिकल सर्टिफिकेट ही मान्य होगा। इन डॉक्टरों के नामों की सूची बोर्ड रजिस्ट्रेशन प्रारंभ होने से पहले जारी करेगा। इस संबंध में उसे पत्र लिखा गया है।
इस वर्ष भी 13 साल से कम और 75 साल से अधिक उम्र के लोगों के पंजीयन नहीं किए जाएंगे। छह सप्ताह से अधिक समय की गर्भवती महिला का भी पंजीयन नहीं किया जाएगा। बोर्ड द्वारा अधिकृत डॉक्टर्स से मेडिकल सर्टिफिकेट आवेदन के साथ जमा कराना होगा।
जम्मू में हिंसक वारदातों की आशंका के चलते कई लोग इस बार भी जम्मू-कश्मीर की बजाए हिमाचल में कुल्लू-मनाली के रास्ते से लेह होते हुए सीधे बालटाल जा सकते हैं। पिछले साल भी कुछ लोग इस रास्ते से गए थे, परंतु इस मार्ग से जाने में दो की बजाए चार दिन का समय लगता है। यह रास्ता वर्ष 2017 में यात्रियों के लिए केंद्र सरकार की पहल पर खोला गया था।
श्राइन बोर्ड द्वारा दो साल पहले अमरनाथ यात्रियों की दुर्घटना बीमा राशि एक लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपए कर दी गई थी। इस साल भी यही राशि रखी गई है। किसी यात्री को अलग से बीमा नहीं कराना पड़ेगा। यह बीमा राशि उन्हीं लोगों के लिए मान्य होगी, जो श्राइन बोर्ड या उसके द्वारा अधिकृत बैंकों से रजिस्ट्रेशन कराकर यात्रा पर जाएंगे।
अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है।
जानें अमरनाथ जीक की गुफा का इतिहास और रहस्य
इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊँची है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है।
प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं।
गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है।
चन्द्रमा के घटने-बढऩे के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।
यात्रा में शामिल होने के लिए ऐसे जाएं:
जम्मू से पहलगांव – जम्मू से पहलगांव की दूरी लगभग 315 कि।मी। की है। जम्मू से पहलगाम तक के लिए आसानी से टैक्सी या बसें मिल जाती हैं।
पहलगांव से चदंनवाड़ी – पहलगांव से चंदनवाड़ी की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है। चंदनवाड़ी तक पहुंचने के लिए पहलगांव से कई मिनी बसें चलती हैं।
चंदनवाड़ी से पिस्सू शीर्ष – चंदनवाड़ी से आगे बढ़ने पर पिस्सू शीर्ष पर पहुंचा जाता है। कहते हैं एक बार भोले नाथ के दर्शन करने पहुंचने करने के लिए इस जगह पर देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ था।
पिस्सू शीर्ष से शेषनाग – शेषनाग वास्तव में एक पहाड़ है, सात चोटियों से बना होने के कारण इसे यह नाम मिला। साथ ही यहां के पहाड़ सांप के सिर जैसे दिखाई देते हैं।
शेषनाग से पंचतरणी – शेषनाग से लगभग 4।6 कि।मी। की ऊंचाई तक चढ़ाई करने के बाद पंचतरणी पड़ाव पर पहुंचते हैं। काफी ऊंचाई होने के कारण यात्री यहां पर भी ऑक्सीजन की कमी से प्रभावित होते हैं।
पंचतरणी से अमरनाथ गुफा – पंचतरणी के बाद अगला पड़ाव गुफा ही होता है। गुफा पहुंचने से पहले रास्ते में अमरावती और पंचतरणी नदी का संगम आता है। कई श्रद्धालु गुफा में जाने से पहले यहां स्नान करते हैं।
जम्मू से बालटाल होते हुए गुफा की यात्रा
सोनमर्ग से बलताल – जम्मू से श्रीनगर की ओर जाते रास्ते के द्वारा सोनमर्ग होते हुए बलताल तक पहुंचा जा सकता है। इसके लिए टैक्सी और बसें होती है।
बलताल से अमरनाथ गुफा – यहां से लगभग 14 कि।मी। की ट्रैकिंग करके गुफा पहुंचा जा सकता है। इस रास्ते का प्रयोग करने के लिए शारीरिक चुस्ती और फिटनेस जरूरी है। छोटा होने के कारण यह रास्ता बहुत प्रसिद्ध है।
ठहरने की व्यवस्था
यात्रियों के लिए रास्ते में जगह-जगह झोपड़ियों, टेंट और विभिन्न शिविर लगाए जाते हैं। ये यात्रियों के लिए किराए पर उपलब्ध होते हैं।
-यह आलेख भास्कर डॉट कॉम से लिया गया है।