चंडीगढ़। इराक के मोसुल में आईएसआईस के आंतकियों द्वारा मारे गए पंजाब के मजदूरों के परिवारों को पंजाब सरकार नौकरी देगी। सरकार ने ये फैसला बुधवार को हुई कैबनिट मीटिंग में लिया है। कैबिनेट ने पंजाब के 27 युवकों के परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का फैसला किया है। इसके अलावा आश्रितों को पांच लाख रुपये की एक्सग्रेशिया ग्रांट भी दिया जाएगा। साथ ही जब तक परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिलती तब-तक परिजनों को 20 हजार रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। सरकार नौकरी योग्यता के आधार पर देगी।
2002 की नीति के अनुसार मोसुल में मारे गए युवकों के परिजनों को नौकरी देने का केस लागू नहीं हो पा रहा था, जिसके चलते सरकार ने नियमों में ढील दी है। इराक में मारे गए 39 युवकों में से 27 पंजाब से संबंधित थे। इनके आश्रितों को 1.30 करोड़ रुपये की राशि पहले ही दी जा चुकी है। कैबिनेट की बैठक में वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने यूटी चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से की जा रही भर्ती में 60:40 के अनुपात को बरकरार न रखने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दस वर्षों का रिकॉर्ड खंगाल लिया जाए, तो पता चलेगा कि पंजाबियों को कहीं कम अनुपात में भर्ती किया गया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ में जो भी भर्ती होनी है, उसमें पंजाब के 60 फीसद और हरियाणा के 40 फीसद युवाओं को भर्ती किया जाना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इस पर ग्रामाीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने सुझाव दिया कि मुख्य सचिव करण अवतार सिंह की अगुवाई में अधिकारियों की एक कमेटी का गठन किया जाए, जो यूटी प्रशासन के साथ मिलकर पंजाब पुनर्गठन एक्ट को लागू करने के बारे में बात करे। मुख्यमंत्री ने भी इस पर सहमति दी।