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आनंद कराज रस्म के साथ हुई सोनम कपूर की शादी

12 26 आनंद कराज रस्म के साथ हुई सोनम कपूर की शादी

नई दिल्ली। बॉलीवुड की फैशन आइकॉन के रुप में जानी जाने वाली सोनम कपूर की शादी की रस्में पूरी हो चुकी हैं। ये शादी सि‍ख रीत‍ि-रिवाजों के साथ हुई।शादी के चंद मिनटों बाद ही सोनम कपूर और आनंद आहूजा के ‘आनंद कारज’ (यानी सिख रीति रिवाजों से हुई शादी) की तस्वीरें सामने आ गई हैं। सिख धर्म में शादी’आनंद कारज’ के साथ होती हैं ये हिंदू धर्म के विवाह से बिल्‍कुल अलग माना जाता है।

यह रस्म दिन में होती है, पारंपरिक ह‍िंदू शादि‍यों में जहां लग्न, मुहूर्त, जन्मपत्रियों, कुंडली दोष का मिलाना जरूरी होता है। आनंद कारज में ये रस्म ज्यादा महत्व नहीं रखते हैं। सिख धर्म में जो लोग गुरु और अपनी धर्म पर पूरी आस्‍था रखते हैं, वे आनंद कारज करते हैं, उन्‍हें खुशी के किसी भी काम के लिए मूहूर्त देखने की जरुरत नहीं होती है। उनके लिए हर दिन पवित्र होता है।

12 26 आनंद कराज रस्म के साथ हुई सोनम कपूर की शादी

क्या होता है आनंद कारज

आनंद कारज का मतलब होता है खुशी का कार्य। आनंद कारज हिंदू धर्म के विवाह से बिल्‍कुल अलग माना जाता है। इस शादी में लग्न, मुहूर्त, शगुन-अपशगुन, नक्षत्र देखना, कुंडली का मिलान आदि आवश्‍यक नहीं होता है।

आनंद कारज विवाह

आनंद कारज रस्म में कई रस्में होती है जैसे फेरे लेना, दुल्हन का मंडप त‍क लाना जैसे कुछ रस्‍में हिंदू शादियों की रीति रिवाजों की तरह होती हैं। आनंद कारज में ग्रंथी गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। इस दौरान सभी पर‍िजनों के सिर ढकें हुए होने जरुरी होते है, जहां महिलाओं के सिर पर दुपट्टा ओढ़ा हुआ होना चाहिए वहीं पुरुषों के सिर पर पगड़ी होती है। ये रस्म फेरों से पहले होती है। इसके के बाद फेरे लेने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब के सामने माथा टेकने के बाद ही आनंद कारज यानी सिख रीति रिवाजों से शादी सम्‍पन्‍न हो जाती है।

आनंद कराज के अनुसार चार फेरे

आनंद कराज में दुल्‍हन के पिता पगड़ी का एक सिरा दूल्हे के कंधे पर रखते हैं और दूसरा सिरा दुल्हन के हाथ में देते हैं। फिर जोड़ा गुरु ग्रंथ साहिब के चार फेरे लेता है, पहले फेरे या लवाण में नाम जपते हुए सतकर्म की सीख जोड़े को दी जाती है। दूसरे फेरे सच्‍चे गुरु को पाने का रास्‍ता दिखाया जाता है ताकि उनके बीच अहम की दीवार न रहे। तीसरे फेरे में संगत के साथ गुरु की बाणी बोलने की सीख देते हैं। चौथे और अंतिम लांवे में मन की शांति और गुरु को पाने के शब्‍द कहे जाते हैं। इन रस्‍मों के बीच अरदास चलती रहती है, इसके बाद अरदास खत्‍म होने पर सबको रागी का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है।

सिख मैरिज एक्ट

सिख रीति रिवाज में होने वाली शादी हिंदू शादी से बिल्कुल अलग होती है। सिख विवाह एक्ट को 1909 में बनाया गया था,पर सिख धर्म की शादी हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है वे अब आनंद कारज मैरिज एक्ट के तहत इसके पंजीकृत करवा सकते हैं

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