प्रयागराज: पंचायत चुनाव में इस वर्ष आरक्षण की नई नियमावली को लागू किया गया है। इसी से जुड़े मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा रहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है खारिज
आरक्षण को लेकर कई आपत्तियां सामने आई थीं, कुछ का निपटारा चुनाव आयोग द्वारा कर दिया गया। वहीं कुछ मामलों में बात सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक भी पहुंच गई थी, जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया था। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी अपील की गई, जिसे शुक्रवार को खारिज कर दिया गया। इस मामले में कोर्ट की तरफ से किसी भी तरह का हस्तक्षेप न करने की बात कही गई है।
गोरखपुर से दायर की गई थी याचिका
गोरखपुर जिले से दायर इस याचिका में कहा गया कि जिले में जब कोई भी अनुसूचित जनजाति का नहीं है तो आरक्षण देने का मतलब नहीं बनता। इसके बाद भी कुछ ग्रामसभाओं में ऐसा देखने को मिला है, इसी के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इस पूरे मामले में कोर्ट की तरफ से हस्तक्षेप न करने की बात कही गई है।
संविधान के तहत हुआ निर्णय
भारत के संविधान में लिखित अनुच्छेद 243 ओ के अनुसार इसमें अब कोर्ट कोई टिप्पणी नहीं कर सकता है। राज्य चुनाव आयोग ने अब अधिसूचना को भी जारी कर दिया गया है। 15 अप्रैल से वोटिंग प्रक्रिया शुरु हो जायेगी। एक बार चुनाव की प्रक्रिया शुरु होने के बाद कोर्ट कोई भी फैसला नहीं सुना सकती, इसीलिए इस नियम को स्वीकार करके याचिका को खारिज कर दिया गया।
इस बार चार चरणों में चुनाव आयोजित हो रहे हैं, मतगणना 2 मई को होगी। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया भी शुरु होने वाली है। दूसरी तरफ आरक्षण का मसला अभी भी लगातार जारी है। गोरखपुर में पहले ही चरण में वोटिंग होनी है, इस दौरान 18 जिलों में 15 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे।