राष्ट्रीय परशुराम परिषद के केंद्रीय मंडल की बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव देवदत्त शर्मा ने कहा की बड़ी चिंता की बात है कि कोरोना वायरस तेजी के साथ बढ़ रहा है। और हमारे जितने विद्वान इस सम्मेलन में आने थे उनमें से ज्यादातर विद्वानों ने कोरोना माहामारी के चलते अपनी असमर्थता व्यक्त की है।
24 और 25 अप्रैल को होना था सम्मेलन
उन्होने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने रविवार को पूरे राज्य में लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया है। जिस वजह से 24 अप्रैल शाम से लेकर 26 अप्रैल सुबह तक पूर्ण लॉकडाउन रहेगा। साथ ही सरकार द्वारा और भी कठिन निर्णय लिए जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि मेरे कहने का मतलब ये है कि 24 और 25 अप्रैल को जो अखिल भारतीय विद्वत सम्मेलन आयोजित होना था। वो इन सभी कारणों को देखते हुए आयोजित नहीं हो पाएगा। इसलिए कोरोना वायरस की ऐसी भयावह स्थिति को देखते हुए सम्मेलन को स्थगित किए जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अतः कार्यक्रम को कोरोना वायरस के चलते स्थगित किया जाता है।
‘इस समय कठिन निर्णय लेना जरूरी’
वहीं अध्यक्ष सुनील बराला ने कहा कि ऐसी स्थिति में इस प्रकार का निर्णय लेना बहुत आवश्यक है। लेकिन ध्यान रहे कि कार्यक्रम की तिथि जल्द ही घोषित करके सभी को अवगत कराया जाएगा। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद का ये संकल्प है कि भगवान परशुराम की जन्मस्थली, युद्धस्थली, शिक्षास्थली कहा है, पृथ्वी पर मानव कल्याण में भगवान परशुराम के द्वारा जो कार्य किए गए हैं।
‘परिषद से देश के कोने-कोने का विद्वान जुड़े’
उन्होने कहा कि भगवान परशुराम द्वारा कहा गया कि शिवलिंग स्थापित किए गए, परशुराम चालीसा तथा परशुराम धाम की स्थापना विद्यालय कहां स्थापित होगा। इन सभी कार्यों की घोषणा के लिए राष्ट्रीय परशुराम परिषद ने जिम्मा उठाया है। राष्ट्रीय परशुराम परिषद से देश के कोने-कोने का विद्वान जुड़ गया है। और परिषद का आभार व्यक्त कर रहा है। देश का एक ऐसा संगठन जिसने रचनात्मक कार्यों के लिए संगठन ने कमर कसी है परिषद को हम हृदय से बधाई देते हैं
उन्होने आगे लिखा कि मैं आशा करता हूं कि स्वयं और अपने सहयोगी के माध्यम से इस महत्वपूर्ण समाचार को अपने प्रकाशन में उचित स्थान देंगे।