गुवाहाटी। पहले ही पूरा देश कोरोना वायरस नाम के संकट से लड़ रहा है इसके बीच असम के जरिए एक और संकट भारत की तरफ बढ़ रहा है। जिसका नाम अफ्रीकी स्वाइन फ्लू है। आपको ये बता दें कि इसका कोरोना वायरस से कोई वास्ता नहीं है। इस बिमारी के चलते असम के 306 गांवों में 2,500 सूअरों को मारा गया है। राज्य के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा का कहना है कि आगे भी इस संक्रमण को रोकने के लिए में केंद्र की इजाजत के बाद असम में सूअरों को मारने के बजाए इस संक्रमण को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं और दूसरे विकल्पों पर विचार किया जाए।
मंत्री बोरा का कहान है कि ‘राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआइएचएसएडी) भोपाल ने अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (एएसएफ) की पुष्टि की है। इस फ्लू पर केंद्र सरकार का भी यही कहना है कि इस तरह के फ्लू ने भारत में पहली बार दस्तक दी है। इस प्लू को लेकर तो यहां तक कहना है कि ‘यह संक्रमण इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित सूअरों की मृत्युदर 100 फीसद है। इसलिए, हमने उन सूअरों को बचाने की रणनीति तैयार की है जो अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं। हालांकि, अभी यह बीमारी ज्यादा नहीं फैली है।’
साथ उनका ये भी कहना है कि पशु चिकित्सा विभाग प्रभावित इलाके के एक किलोमीटर के दायरे में नमूने इकट्ठा करके उनकी जांच करेगा। इसके बाद केवल उन्हीं सूअरों को मारा जाएगा जो संक्रमित होंगे। राज्य सरकार ने पड़ोसी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां सूअरों के आने जाने पर रोक लगाएं ताकि संक्रमण न फैले। मंत्री ने बताया, ‘अफ्रीकी स्वाइन फ्लू सूअर के मांस, स्लाइवा, खून और टिशू के जरिये फैलता है। इसलिए, असम सरकार सूअरों का अंतर्जिला परिवहन रोकेगी।
साथ ही हमने 10 किलोमीटर की परिधि को सर्विलांस जोन में तब्दील कर रखा है, ताकि वहां से सूअर अन्यत्र न जाने पाएं। बोरा ने कहा, ‘इस बीमारी की शुरुआत अप्रैल 2019 में चीन के जियांग प्रांत के एक गांव में हुई थी जो अरुणाचल प्रदेश का सीमावर्ती है। असम में यह बीमारी इसी साल फरवरी के अंत में सामने आई थी। ऐसा लगता है कि यह बीमारी चीन से अरुणाचल होती हुई असम पहुंची है।’