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भारत ने जताई गिलगित-बाल्टिस्तान पर दिए पाकिस्तान के आदेश पर कड़ी आपत्ति

भारत पाक भारत ने जताई गिलगित-बाल्टिस्तान पर दिए पाकिस्तान के आदेश पर कड़ी आपत्ति

नई दिल्ली। भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान पर दिए पाकिस्तान के आदेश पर इस्लामाबाद से कड़ी आपत्ति जताई है। पाकिस्तान राजनयिक को बुलाकर भारत ने पीओके में पड़ोसी देश के बदलाव करेने की कोशिश पर कड़ा विरोध जताया है। भारत ने इस निंदा से पाकिस्तान को एक बार फिर इस बात का अहसास दिलाया है कि पूरा गिलगित-बाल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है। विदेश मत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान सरकार या वहां की अदालत को जबरदस्ती कब्जाए गए हिस्से पर आदेश जारी करने का कोई हक नहीं है। भारत जम्मू-कश्मीर के POK में बदलाव करने जैसी कार्रवाई को सिरे से नकारता है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने का आदेश जारी किया था।

बता दें कि इस बात पर हर बार पाकिस्तान अपने मुंह की खाती है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक को आपत्ति पत्र जारी किया और तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है।’ बयान में कहा गया है, ‘यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि केंद्र शासित प्रदेश पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान भी शामिल हैं, वह पूरी तरह से कानूनी और अपरिवर्तनीय विलय के तहत भारत का अभिन्न अंग हैं।’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार या उनके कोर्ट को उन हिस्सों पर कोई भी आदेश जारी करने का अधिकार नहीं हैं जो उसने ‘अवैध तरीके से और जबरन कब्जाए’ हुए हैं।

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वहीं बयान में ये भी कहा गया है कि संसद से 1994 में पास एक प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर पर भारत ने स्थिति साफ कर रखी है। बयान में कहा गया है कि भारत इस तरह के कदमों को पूरी तरह से खारिज करता है और भारतीय जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों की स्थिति में बदलाव लाने के जारी प्रयासों पर आपत्ति जताता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के हालिया कदम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों पर उसके ‘अवैध कब्जे’ को छुपा नहीं सकते हैं और न ही इस पर पर्दा डाल सकते हैं कि पिछले सात दशकों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, शोषण किया गया और उन्हें स्वतंत्रता से वंचित’ रखा गया।

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