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Afghanistan crisis: काबुल में हालात बेकाबू, तालिबान के समर्थन में चीन-पाक, चीन ने कहा- दोस्ताना रिश्ते के लिए तैयार

16 08 2021 taliban 21931543 Afghanistan crisis: काबुल में हालात बेकाबू, तालिबान के समर्थन में चीन-पाक, चीन ने कहा- दोस्ताना रिश्ते के लिए तैयार

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब वहां के हालात बेकाबू हो चुके हैं। इसी बीच चीन और पाकिस्तान का बयान भी इसको लेकर सामने आया है। जिससे साफ-साफ नजर आता है कि चाइना और पाकिस्तान दोनों ही तालिबान के साथ खड़े हैं।

जान बचाने के लिए विमान में लटके लोग, आसमान से जमीन पर गिरे

अफगानिस्तान में इस वक्त त्राहिमाम मचा हुआ है। लोग अपने घरों को छोड़कर भाग रहे हैं। हर कोई अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहा है। अब तो हालात ये बन चुके हैं कि लोग अफगानिस्तान से बाहर जाने वाली फ्लाइटों पर बसों की तरह लटक रहे हैं। सोमवार को काबुल एयरपोर्ट से कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आई। जहां एयरपोर्ट से विमान उड़ने को तैयार था और तभी लोगों ने उसके पहियों में लटकना शुरू कर दिया। हर कोई अपनी जान बचाने के लिए विमान में सवार होना चाहता था। विमान जैसे ही आसमान में उड़ा तो उसमें लटके लोग एक-एक करके नीचे गिरने लगे। ये मंजर अपने आप में बेहद ही खतरनाक था। रूह कंपा देने वाला ये मंजर ये बताने के लिए काफी था कि तालिबान को लेकर अफगानिस्तान के लोगों में किस कदर डर बैठा है।

दोस्ताना रिश्ते कायम करना चाहता है चीन

एक ओर अफगानिस्तान की जनता तालिबान के कब्जे से देश छोड़ने को मजबूर है। हर कोई उनकी हालत पर तरस खा रहा है। तो दूसरी ओर चीन और पाकिस्तान तालिबान का समर्थन करते नजर आ रहे हैं। तालिबान के सत्ते में आने को लेकर पहली बार चीन का बयान सामने आया है। जिसमें चीन ने तालिबान के साथ सहयोगपूर्ण रिश्ते कायम करने की बात कही है। सोमवार को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से यही बात दोहराई। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि चीन अफगानिस्तान में तालिबान के साथ दोस्ताना और सहयोगपूर्ण रिश्ते कायम करना चाहता है।

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अफगानों ने तोड़ी गुलामी की जंजीरें- पाकिस्तान

काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में हलचल मची हुई है। लेकिन चीन और पाकिस्तान इसको लेकर सहज नजर आ रहे हैं। चीन ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि वह अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को मान्यता देने के लिए तैयार है। वहीं पाकिस्तान की ओर से भी इसको लेकर प्रतिक्रिया सामने आई है। जिससे ये साफ जाहिर होता है कि तालिबान के सत्ता पर काबिज होने का पाकिस्तान समर्थन कर रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यहां तक कहा कि अफगानों ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया है।

‘अफगानिस्तान की राजनीतिक स्थिरता के लिए निभाएंगे भूमिका’

इमरान खान ने कहा कि आधीन दिमाग कभी बड़े निर्णय नहीं ले सकते हैं। वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तो यहां तक कह दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के साथ लगातार संपर्क में रहना चाहिए। कुरैशी ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता वापस लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है अफगानिस्तान

अफगानिस्तान लगातार पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है कि उसने तालिबान विद्रोह का समर्थन किया है। शायद यही वजह है कि अफगानिस्तान में 20 वर्षों की शांति के बाद जब अमेरिका ने अपने सैनिकों को वापस बुलाया तो फिर से तालिबान एक्टिव हो गया। तालिबान ने कंधार में कब्जा करने के बाद रविवार को काबुल में भी कब्जा कर लिया। राष्ट्रपति भवन में भी तालिबान के लड़ाके घुस गए। जिसके बाद राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी देश छोड़ कर भाग गए हैं। उनके जाने से देश में एक तरह का सियासी सूनापन छा गया। खून ख़राबा न हो इसलिए कई सूबों के गवर्नरों ने ख़ुद तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। काबुल पर भी तालिबान ने बिना संघर्ष के कब्ज़ा कर लिया है।

 

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