लखनऊ: अभिनेता अनुपम श्याम भी कल दुनियां को अल विदा कह गये। मुम्बई के लाइफ लाइन अस्पताल में अनुपम ने आखिरी सांस ली। अनुपम को किडनी से जुड़ी समस्या की वजह से कुछ दिनों पहले ही अस्पताल में भर्ती किया गया था। वह आईसीयू में थे।
1985 में शुरू किया था अभिनय
अनगढ़ सादगी और बिन्दास मंलगाई उनके स्वभाव में थी। सन 1985 में वो भारतेन्दु नाट्य अकादमी से श्रीराम सेन्टर रंगमंडल मे आये तो इस बेहतरीन अभिनेता के व्यक्तित्व और स्टेज पर उनके निभाये किरदारो ने हम सबका ध्यान आकर्षित किया। अनुपम बहुत जल्दी घुलमिल जाते थे। मंण्डीहाऊस में वे सबके चहेते बन गये। एक देर शाम जब में अवतार साहनी भाई के साथ बाबर रोड स्थित उनसे निवास स्थान मिलने गया तो भौचक रह गया वो सीढियों के नीचे बची एक छोटी सी जगह में अपने मित्र चन्दु ( चन्द्र मोहन ) के साथ वहां मस्ती में रहते है।
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंग मंडल मे पगला घोडा ( निर्देशक सत्यदेव दुबे)
- जोसेफ के का मुकदमा ( निर्देशक मोहन महर्षि )
- दुश्मन( निर्देशक हबीब तनवीर )
- शर्विलक ( निर्देशक बंसी कौल)
- कैदे हयात ( निर्देशक रामगोपाल बजाज )
- करोडी मार्को (ब्राड वे निर्देशक रोडनी मेरियट )
- मित्रौं मरजानी ( निर्देशक बृजमोहन शाह )
- मै लाडली मैना तेरी ( निर्देशक उषा बैनर्जी )
- महाशान्ति ( निर्देशक फ्रीट्ज बेनिवीट )
- यमगाथा ( निर्देशक भानुभारती )
- करमावाली और मुआवजे ( निर्देशक एम. के रैयना )
- एक पुरूष- डेढ पूरूष (निर्देशक रामगोपाल बजाज )
- रक्त कल्याण और जुलियट सीजर ( निर्देशक ईब्राहिम अल्काजी )
- खबसूरत बहु ( निर्देशक रंजित कपूर )
- आदि नाटकों के उनके चरित्र यादगार बने 6 साल के बाद वे मुम्बई चले गये
लम्बी बिमारी से जब वे स्वस्थ हो गये थे। लेकिन बीमारी से ठीक होने के बाद अनुपम श्याम को शरीर में अन्य कई बीमारियां भी हो गई थी। जिसकी वजह से आज उनकी मृत्यु हो गई।