featured धर्म यूपी राज्य

रंगभरी एकादशी 2022: मां पार्वती का गौना कराने ससुराल पहुंचे बाबा विश्वनाथ, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी काशी

रंगभरी एकादशी रंगभरी एकादशी 2022: मां पार्वती का गौना कराने ससुराल पहुंचे बाबा विश्वनाथ, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी काशी

होली से पहले होली उत्सव की शुरुआत हो जाती है। इसी कड़ी में रंगभरी एकादशी का त्यौहार भी आता है यह त्यौहार हर वर्ष फागुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन सभी मंदिरों में भगवान के साथ होली खेलने की मान्यता है।

मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन भगवान भोलेनाथ माता पार्वती की गौने की रसम के लिए ससुराल जाते है। यही कारण है कि रंगभरी एकादशी तिथि को भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में भव्य आयोजन देखने को मिलता है। तो आइए जानते हैं काशी की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के बारे में…..

रंगभरी एकादशी 2 रंगभरी एकादशी 2022: मां पार्वती का गौना कराने ससुराल पहुंचे बाबा विश्वनाथ, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी काशी

माता गोरा के गौने की होती है रस्म

भोलेनाथ की नगरी काशी पूरी दुनिया में अलग ही पहचान रखती। इस शहर में 7 वार और 9 त्योहारों की अद्भुत परंपरा सदियों से चली आ रही है। आज के दिन काशी में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की गाने की रसम अदा की जाती है इस परंपरा की शुरुआत 358 साल पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार की ओर से शुरू की गई थी जिसे आज तक निभाया जा रहा है।

रंगभरी एकादशी रंगभरी एकादशी 2022: मां पार्वती का गौना कराने ससुराल पहुंचे बाबा विश्वनाथ, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी काशी

बनारस की गलियों से निकलती है पालकी

महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और महादेव शिव का विवाह हुआ था इसके बाद रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती की गाने की रसम होती है इस अद्भुत कार्यक्रम के साक्षी बनने के लिए केवल काशी के ही नहीं दुनिया भर के लोग वाराणसी पहुंचते हैं भोलेनाथ के भक्त अपने कंधों पर रजत पालकी लेकर बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती की प्रतिमा को रखकर बनारस की गलियों से निकलते हैं। जिस पर लोग जमकर गुलाल और रंग बरसाते हैं। 

Screenshot 2022 03 14 133821 रंगभरी एकादशी 2022: मां पार्वती का गौना कराने ससुराल पहुंचे बाबा विश्वनाथ, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी काशी

मोक्ष की नगरी है काशी

काशी को मुफ्त की नगरी माना जाता है मान्यता है कि इस नगरी में महादेव खुद मृत्यु शैया पर लेटे मनुष्य के कार्यों में तांत्रिक मंत्र देकर उन्हें मोक्ष की ओर अग्रसर करते हैं और जब भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पालकी सड़क पर निकलती है तो काशी में अलग-अलग नजारे देखने को मिलते हैं। 

लाखों की संख्या में पहुंचते हैं लोग

लोगों को रंगभरी एकादशी का बेसब्री से इंतजार रहता है इस दिन पूरी काशी होली के रंग में सराबोर नजर आती है हर कोई महादेव के रंग में रंगा चाहता है यही वजह है कि यहां उस दिन लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बनारस की गलियां उल्लास के चरम पर पहुंच जाती है।

Related posts

कांग्रेस के लिए संजीवनी बनीं प्रियंका वाराणसी से नरेंद्र मोदी के समक्ष लड़ सकतीं हैं चुनाव

bharatkhabar

धूमधाम से मनाया गया मथुरा रिफाइनरी दिवस, रिफाइनरी ध्वज के ध्वजारोहण के साथ हुई कार्यक्रम की शुरुआत

Rahul

यूपी: आगरा में स्कूली बच्चों से भरी वैन गड्ढे में गिरी, सभी बच्चे सकुशल

Rahul