मथुरा: जिले में बसंत पंचमी यानी 16 फरवरी से शुरू हुआ वृंदावन कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक मेला 40 दिनों तक चलेगा। इस दौरान वृंदावन कुंभ में चार शाही स्नान किए जाएंगे। कुंभ में पहला विशेष शाही स्नान शनिवार 27 फरवरी को है।
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27 फरवरी के दिन माघ मास की पूर्णिमा है। ऐसे में सुबह 4 बजे से शाही स्नान आरंभ हो जाएगा। ऐसे में आपको शाही स्नान और इसके महत्व के बारे में जानना जरूरी है, तो चलिए इसका महत्व जानते हैं…
क्या होता है शाही स्नान?
कुंभ में साधु-संतों का समागम होता है और शाही स्नान वाले दिन सभी मिलकर पवित्र नदी में स्नान करते हैं। इस दिन एक खास मुहूर्त में सभी संत इकट्ठा होकर गंगा में डुबकी लगाते हुए प्रभु की आराधना करते हैं। स्नान मुहूर्त में सुबह चार बजे से सबसे पहले साधु संत ही स्नान करते हैं और इसके बाद आम लोगों को स्नान की अनुमति दी जाती है। शाही स्नान की परंपरा वैदिक नहीं है बल्कि यह एक प्राचीन परंपरा है।
शाही स्नान का महत्व
वृंदावन के संत स्वामी राम प्रपन्न दास के मुताबिक, कुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन शुभ मुहूर्त पर गंगा स्नान से अशुभ कर्मों, सभी पापों से मुक्ति और पितरों को शांति मिलती है। वहीं, साधु-संतों को अपने तपोकर्मों का विशेष फल मिलता है। शाही स्नान को लोक और परलोक दोनों में कीर्ति और यश प्रदान करने वाला माना जाता है।
शाही स्नान की तिथियां
वृंदावन कुंभ का पहला शाही स्नान 27 फरवरी (शनिवार), दूसरा शाही स्नान फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी 9 मार्च, तीसरा विशेष शाही स्नान फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या 13 मार्च और आखिरी व पूर्णाहूति शाही स्नान 25 मार्च को है। इसके बाद हरिद्वार में महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी।
वृंदावन कुंभ पहुंचेंगे ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का शनिवार शाम को वृंदावन कुंभ में पहुंचने का प्लान है। यहां श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लेंगे। इसके बाद लोगों से बातचीत करके रविवार तक लखनऊ वापस आने का प्लान है।
मेला क्षेत्र के लिए टोल फ्री नंबर जारी
उधर, शनिवार को शहर में निकलने वाली पेशवाई की व्यवस्थाओं और शाही स्नान की तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी नवनीत चहल ने अधीनस्थों, संतों व श्रीमहंतों के साथ बैठक करके व्यवस्थाओं पर मंथन किया। जिला प्रशासन ने मेला क्षेत्र में किसी भी तरह की दिक्कत के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किया, जिस पर श्रद्धालुओं, संतों को जरूरत पड़ने पर शिकायत दर्ज कराई जा सके।