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फिर गर्माया संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाले का मामला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को जारी हुआ नोटिस

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नई दिल्ली। आए दिन देश में लोगों के साथ घोटाले होते रहते हैं। इन घोटालों में हमेशा ही आम जनता ही पिसतीं है। देश में चाहें किसी की भी सरकार हो घोटाले होने की प्रकिया तो चलती रहती है। ऐसा ही एक मामला साल 2019 में राजस्थान में देखने को मिला था। जिसके चलते पीड़ितों ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें बताया गया है कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी ने लोगों से भारी निवेश कराया। निवेशकों को फर्जी रिकॉर्ड पोस्टर दिखा कर धोखे में रखा गया। लोगों ने जो पैसा सोसाइटी में निवेश किया था वो लौटाया नहीं गया। ये पूरा घोटाला करीब 900 करोड़ का बताया जा रहा है, जो हजारों की संख्या में लोगों ने निवेश किया था। जिसके चलते राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर खंडपीठ ने यूनियन ऑफ इंडिया समेत सभी 17 पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। नोटिस पाने वालों में राजस्थान के बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनकी पत्नी नोनंद कंवर का नाम भी शामिल है।

ये है पूरा मामला-

बता दें कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 में रजिस्टर्ड कराया गया था। इसके बाद 2010 में ये सासाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई। इस सोसाइटी के पहले मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम सिंह थे, जो घोटाले की जांच में प्रमुख नाम भी हैं। विक्रम सिंह को ही इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है जिनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है। हाई कोर्ट ने ये नोटिस संजीवनी पीड़ित संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए हैं। संजीवनी पीड़ित संघ का दावा है कि कोऑपरेटिव सोसाइटी में लोगों ने भारी रकम निवेश की थी, लेकिन उन्हें पैसा वापस नहीं किया गया और उसका गलत तरीके से गबन कर लिया गया। कुछ निवेशकों की तरफ से इसकी शिकायत की। मामला राजस्थान SOG तक पहुंचा। अगस्त 2019 में इसमें एफआईआर दर्ज की गई। जांच टीम को फेक लोन से जुड़े अहम सुराग मिले। मामले में सोसाइटी के अधिकारियों की गिरफ्तारियां की गईं।

विक्रम सिंह और गजेंद्र सिंह के बीच कनेक्शन-

इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले विक्रम सिंह और गजेंद्र सिंह के बीच कनेक्शन बताया जाता है। दोनों की साथ में तस्वीर भी काफी चर्चा बटोर चुकी है। साथ ही आरोप ये भी हैं कि निवेशकों का पैसा गलत तरीके से विक्रम सिंह के खातों में ट्रांसफर हुआ और विक्रम सिंह ने एक ऐसी कंपनी से शेयर खरीदे जिसके शेयरहोल्डर गजेंद्र सिंह भी हैं।

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