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लॉकडाउन से मध्य प्रदेश में कृषि, उद्योग और सर्विस सेक्टर को भुगतना पड़ सकता है इतने करोड़ का नुकसान

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भोपाल। कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन से मध्य प्रदेश में कृषि, उद्योग और सर्विस सेक्टर को लगभग 77 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। भारतीय प्रबंध संस्थान, इंदौर ने एक अध्ययन के जरिए यह अनुमान लगाया है। अध्ययन के मुताबिक वर्तमान में देश की जीडीपी 5 प्रतिशत है, जो घटकर महज दो प्रतिशत या उससे कम रह जाएगी। भारत की जीडीपी में मप्र का छह प्रतिशत का योगदान है। प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ जाएगा। वहीं व्यवसाय, उत्पादन और सप्लाई पर भी इसका असर पड़ेगा। मप्र की अर्थव्यवस्था 12 साल पीछे 2008 के बराबर चली जाएगी।

हालांकि आईआईएम इंदौर ने इस नुकसान को कम करने के लिए एक रणनीति भी तैयार की है। आइआइएम का दावा है कि इससे मप्र में होने वाले 32 हजार करोड़ रुपये के नुकसान से छह माह में ही उबरा जा सकता है। आईआईएम इंदौर के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत सालवान आदर्श स्थिति में उत्पादन शुरू होने के बाद यह नुकसान 77 हजार करोड़ रुपये से घटकर 45 हजार करोड़ रुपये पर आ सकता है। यह रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई है। सरकार ने संस्थान से इस मसले पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।

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प्राथमिक क्षेत्र

– रबी की फसल की कटाई और खरीब फसल की बुआई के साथ ही भंडारण, वितरण और उपभोग सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए प्रशासनिक तौर पर एक मजबूत ढांचा तैयार करना होगा ताकि किसानों को अपनी फसल बेचने में कोई परेशानी न हो।

– समर्थन मूल्य निर्धारित करने होंगे। कुछ कृषि उत्पाद के दाम बहुत ज्यादा घट गए हैं, इसलिए इनके दाम निर्धारित करेंगे होंगे।

– अन्य राज्यों का मॉडल देखकर ऐसी प्रक्रिया निर्धारित करनी होगी कि आपूर्ति प्रभावित न हो।

सेकंडरी क्षेत्र

– व्यापार, होटल, रियल एस्टेट, ट्रांसपोर्ट आदि सर्विस सेक्टर है। बिजली, पानी सप्लाई, गैस सहित अन्य सेक्टर इसमें आते हैं। इन्हें उबरने में समय लगेगा।

– आरबीआइ ने कर्ज में राहत देकर अच्छी कोशिश की है, लेकिन मप्र का राज्य वित्त आयोग को इन्हें ग्रेस पीरियड देना चाहिए।

– आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, एडंवास टेक्नोलॉजी और ब्लॉक चेन की मदद से उत्पादन का मूल्यांकन करें और आपूर्ति की स्थिति का जायजा लें।

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