उत्तराखंडः गंगा की निर्मलता को लेकर केंद्र सरकार एक तरफ करोड़ों रुपए खर्च कर गंगा की निर्मलता को लेकर अपना अभियान चला रही है। ऐसे में बीजेपी सरकार के कार्यकाल में दूसरे संत की मौत के बाद सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं। आखिर सदन में आंदोलन के बाद होने वाली मौत को लेकर क्या सरकार के साथ-साथ वह भी दोषी नहीं जिसके कारण पर्यावरणविद स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद यानी प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की मौत हुई है। यह मामला गंगा की निर्मलता को लेकर आने वाले दिनों में भले ही राजनीतिक मुद्दा बने, लेकिन गंगा किनारे हो रहे खनन को भी बंद किया जाना जरूरी है।
इसे भी पढे़ेःउत्तराखंडःस्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का निधन, 22 जून से बैठे थे अनशन पर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में स्वामी सानंद का गुरुवार को निधन हो गया है। बता दें कि स्वामी सानंद को बुधवार को हरिद्वार प्रशासन ने एम्स में भर्ती कराया था। 87 वर्षीय आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने भी त्याग दिया था। सानंद गंगा की निर्मलता को लेकर तपस्यारत आज गुरुवार को स्वर्ग सिधार गए। उनके निधन का समाचार मिलते ही आश्रम के संत समाज में शोक उमड़ पड़ी।गौरतलब है कि गंगा की निर्मलता को लेकर लंबे समय से अनशन किया जाता रहा है। पूर्व में बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशक के समय भी 13 जून 2011 में गंगा रक्षा की मांग कर रहे निगमानंद की हिमालयन अस्पताल जौली ग्रांट में मौत हो गई थी।
इसे भी पढ़ेःउत्तराखंडःस्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का निधन, 22 जून से बैठे थे अनशन पर
बता दें कि लगातार 114 दिन अनशन पर रहने के बाद निगमानंद की मौत हुई थी। प्रोफेसर जी डी अग्रवाल की मौत को लेकर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट पर प्रोफेसर जी डी अग्रवाल को दिल्ली के एम्स में इलाज करवाए जाने को लेकर ट्वीट किया था। किशोर प्रोफेसर जी डी अग्रवाल की मौत राज्य सरकार की लापरवाही के कारण हुई।
जी डी अग्रवाल के निधन का समाचार काफी दुखद है
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रोफेसर जी डी अग्रवाल के निधन का समाचार काफी दुखद है। और गंगा को लेकर उनका आंदोलन काफी समय से चल रहा था।लेकिन सरकार द्वारा इसको लेकर नजरअंदाज किया जाता रहा। जिसके कारण आज एक संत की मौत का दुखद समाचार मिला। उत्तराखंड में प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का लंबे समय से आंदोलन चल रहा था। लेकिन इस बार इलाज के लिए अस्पताल ले जाएंगे लेकिन वहां से वापस नहीं लौटे।
उनके निधन का समाचार मिलते ही राज्य सरकार के आला अधिकारी से लेकर सरकार तक के सरकार तक हलचल देखी गई। बताने में अवैध खनन बांध निर्माण और उसकी अभियंता को बनाए रखने के मुद्दे पर पर्यावरण विज्ञान स्वरूप सानंद जी डी अग्रवाल अनशन पर थे स्वामी सानंद से जुड़े मुद्दों पर सरकार को पहले भी कई बार आए करा चुके थे। इसी साल फरवरी में उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिख गंगा के लिए अलग से कानून बनाने की मांग की थी। कोई जवाब न मिलने पर 86 साल के स्वामी सानंद 22 गए थे इस बीच केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने की अपील करते रहे। लेकिन वह नहीं मानी स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद यानी प्रोफेसर जीडी अग्रवाल कुछ लोगों के लिए इतना जरूरी नहीं जितना उनका आंदोलन।
आखिर गंगा की निर्मलता को लेकर अगर आशा आंदोलन किए जाने के लिए किसी को भी आगे करता है इसके गलत अर्थ निकाले जाने भी उचित नहीं। आखिर पर्यावरणविद स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद यानी प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की मौत का कारण कहीं ना कहीं गलती तो जरूर रही है। जिसके कारण उसका आंदोलन उनको आंदोलन करना पड़ा