जम्मू से रियासी सड़क मार्ग से पहुंचे, नहीं किया हेलीकाप्टर का उपयोग
भारत खबर
जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू से रियासी जिले तक सफर सड़क मार्ग से किया। एलजी मनोज कुमार ऐसे पहले
उपराज्पाल हैं जो कश्मीर से हेलीकाप्टर से जम्मू पहुंचे और सड़क मार्ग से सबसे पहले रियासी जिले पहुंचे। हालांकि परंपरा रही है
कि कोई वरिष्ठ अधिकारी कटरा में जाकर माता के दरबार में श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन करके परंपरा को निभाते हैं।
सूत्रों के अनुसार एलजी कश्मीर से ही सड़क मार्ग से जम्मू आना चाहते थे। मौसम खराब होने के कारण जम्मू श्रीनगर हाईवे बंद
था। जिसके कारण एलजी को हेलीकाप्टर से जम्मू आना पड़ा। जम्मू पहुंचते ही दोपहर एक बजे के करीब वह रियासी रवाना हो
गए। रियासी में प्रशासनिक अधिकारियों से बैठक की और जिले के विकास कार्यों का जायजा। टूटे हुए सड़क मार्ग की मरम्मत
करने और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास पर भी जोर दिया। रियासी की जिला उपायुक्त इंदु कोतवाल चिब और एसएसपी रियासी रश्मि
वजीर ने जिले के विकास कार्यो और सुरक्षा की रिपोर्ट पेश की।
पूर्व मंत्री ने दिया ज्ञापन
जम्मू। पूर्व राजस्व राज्य मंत्री ने एलजी मनोज सिन्हा से मुलाकात करके जिले के विकास कार्यों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि
रिसासी में कई पर्यटन एवं धार्मिक पर्यटन स्थल हैं। बाबा धनसर, आगार जितो, वाटर फाॅल, काली मंदिर, नौ देवी माता, डेरा बाबा
बंदा बहादुर, भीम फोर्ट, महादेव, सियाड बाबा और सलाल प्रोजेक्ट, चिनाब नदी है। भीम फोर्ट में महाराजा प्रताप सिंह का जन्म
हुआ था और जनरल जोरावर सिंह का किला भी है। इस क्षेत्र से ही राजौरी जिले में मौजूद शिव खोड़ी का प्रवित्र स्थान भी है।
इस क्षेत्र का धार्मिक पर्यटन और पर्यटन के लिए विकास किया जाना चाहिए। कटरा भी रियासी में है और यहां के श्रद्धालुओं को
अन्य पर्यटनक्षेत्र के लिए आकर्षित किया जा सकता है। एलजी ने गंभीरता के साथ अजय नंदा की बात सुनी और इस पर जल्द ही
निर्णय करने का आश्वासन दिया।
जनसंघ का गढ़ रहा है रियासी
जम्मू। एलजी मनोज सिन्हा के जम्मू जनसंघ के गढ़ कहे जाने वाले रियासी जिले में पहुंचने से साफ हो गया कि वह भाजपा वह
भाजपा का एजेंडा लेकर पहुंचे हैं। रियासी महाराजा के समय 1904 में जिला बना था। वर्ष 1950 में तत्कालीन नेशनल कांफेंस ने
जिला का दर्जा हटा दिया था। जनसंघ के पूर्व नेता श्रषि कुमार कौशल ने आंदोलन किया। 72 दिनों तक रियासी बंद रहा। कौशल
ने कहा कि वह अपनी दाढ़ी तभी कटाएंगे जब रियासी को जिला का दर्जा हासिल होगा। तत्कालीन गुलाम नबी आजाद की
सरकार में रियासी को जिला का दर्जा मिला और उसके कुछ माह बाद कौशल का देहांत हो गया।