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NSA डोभाल-एस जयशंकर से मिले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

antony NSA डोभाल-एस जयशंकर से मिले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन दो दिन के भारतीय दौरे पर हैं। बाइडन प्रशासन के सत्ता में आने के बाद वहां के विदेश मंत्री का ये पहला दौरा है। इससे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन मार्च में भारत आए थे। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मई में अमेरिका का दौरा किया था।

अजीत डोभाल से मिले एंटनी ब्लिंकन

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच नई दिल्ली में मुलाकात हुई, जो काफी अहम मानी जा रही है। दोनों के बीच करीब सवा घंटे तक बातचीत चली। ये बातचीत ब्लिन्कन विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात से पहले हुई।

कई अहम मुद्दों पर चर्चा संभव

जानकारी के मुताबिक इस दौरे में अफगानिस्तान में सुरक्षा हालात, कोरोना महामारी की चुनौतियों से निपटने समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। ब्लिंकन ने कहा कि भारत और अमेरिका लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता को साझा करते हैं। ये द्विपक्षीय संबंधों के आधार का हिस्सा है।

एंटनी ब्लिंकन ने किया ट्वीट

एंटनी ब्लिंकन ने ट्वीट कर लिखा कि नागरिक संस्थाओं के नेताओं से आज मुलाकात करने की प्रसन्नता है। भारत और अमेरिका लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता साझा करते हैं। ये हमारे संबंधों के आधार का हिस्सा है और भारत के बहुलवादी समाज और सद्भाव के इतिहास को दर्शाता है।

पीएम मोदी से मिलेंगे ब्लिंकन

बता दें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। हालांकि उनकी मुलाकात पीएम मोदी से कब होगी अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।

पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका

एंटनी ब्लिंकन 26 से 29 जुलाई तक एशिया के दौरे पर हैं। इस दौरान वह भारत के अलावा कुवैत की भी यात्रा करेंगे। इस यात्रा से पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ऐसे समय में भारत आए हैं जब तालिबान मुद्दे पर पूरे विश्व की नजर है। ऐसे में भारत तालिबान को लेकर अपनी चिंता जता सकता है।

चीन की नीतियों के खिलाफ होगी चर्चा

यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और अमेरिका दोनों देशों के चीन से संबंध थोड़ी खराब हैं। ऐसे में चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ दोनों देशों की साझा रणनीति पर भी चर्चा पर सबकी नजर होगी।

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