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अशोकनगर-शिवपुरी जा रहे मजदूरों को यूपी पुलिस ने पीटकर नदीं में फैंका, किसी तरह तैर कर पहुंचे एमपी

यूपी कोरोना वायरस एमपी | Bharatkhabar | Latest News | Breaking News

भिंड। कोरोना वायरस से लड़ाई के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। सीमा सील होने पर अशोकनगर-शिवपुरी जा रहे मजदूरों को आगरा जिले की पुलिस ने पीट-पीटकर चंबल नदी में उतार दिया। घडि़याल-मगरमच्छ के खतरे के बीच मजदूरों ने किसी तरह से चंबल नदी को पार किया। घटनाक्रम आगरा जिले में बाह तहसील के थाना खेरा राठौर में मंगलवार रात 7 बजे का है। अटेर एसडीएम अभिषेक चौरसिया ने बताया पैदल चंबल नदी पार कर बच्चों, बुजुर्ग, महिला और पुरुषों के 52 लोग उत्तरप्रदेश की सीमा से आए हैं। सभी को अटेर आईटीआई परिसर में ठहराया गया है। सभी की थर्मल स्क्रीनिंग कराई। दो मजदूरों को बुखार है।

यह है पूरा मामला

शिवपुरी जिले में करैरा तहसील के साजौर गांव निवासी लज्जावती आदिवासी, ईसागढ़ रूपगढ़ जिला अशोक नगर निवासी रामवीर 25 पुत्र बल्देव और शिवपुरी जिले के पिछोर नावली गांव निवासी अमर सिंह 45 पुत्र गरीब सिंह आदिवासी अपने 52 साथियों और परिजन के साथ उत्तरप्रदेश आगरा जिले की बाह तहसील गांव कमतरी, भोपूपुरा में आलू खोदने के लिए आए थे।

लॉकडाउन होने से मालिक ने आलू खोदने का काम बंद कर दिया और वापस जाने के लिए कहा। तीनों ने अटेर एसडीएम अभिषेक चौरसिया को दिए बयान में बताया है कि यह लोग पैदल चलकर चंबल नदी तक आए। नदी के पास खैरा राठौर थाने की पुलिस तैनात थी। पुलिस ने मारपीट कर गालियां दी और कहा नदी में उतर जाओ। पैदल नदी पार कर दूसरी पार चले जाओ।

पुलिस की पिटाई से मजदूर रात होते हुए भी चंबल नदी में उतरे। रात 7-8 बजे के बीच नदी पार कर मध्यप्रदेश की सीमा में आए तो अटेर पुलिस ने पूछताछ की। एसडीएम अभिषेक चौरसिया को सूचना दी गई। एसडीएम ने सभी मजदूरों को अटेर के आईटीआई परिसर में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में मजदूरों को ठहराया। रात करीब 12 बजे सभी मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग कराई गई। दो मजदूर बुखार से पीडि़त मिले हैं।

गले-गले नदी के पानी से निकलकर आए मजदूर

अटेर तहसीलदार रामजीलाल वर्मा का कहना है कि लॉकडाउन में सीमा सील के चलते अटेर में चंबल नदी पर बने अस्थायी पुल को सोमवार को ब्रेक करवा दिया था। ऐसे में उत्तरप्रदेश से चंबल नदी के रास्ते आने वाले लोग रुक गए थे। मंगलवार रात में जब मजदूर आए तो उनसे बातचीत की। चंबल नदी में गले-गले तक पानी को पार कर मजदूर यहां आए हैं। इनके साथ छोटे बच्चे भी थे। तहसीलदार का कहना है रात करीब 12 बजे तक सभी मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई और उन्हें भोजन कराया गया।

आलू खुदवाए, लेकिन मजदूरी भी नहीं दी

अटेर के आईटीआई परिसर कवारेंटाइन सेंटर में लज्जावती आदिवासी ने एसडीएम चौरसिया को बताया कि वे बाह तहसील के कमतरी गांव में रवीन्द्र पंडित के यहां पर आलू खोदने के लिए गईं थी। उन्होंने आलू खोदने का काम किया, लेकिन लाॅकडाउन हुआ तो उनसे वापस जाने के लिए कह दिया गया। इस दौरान मजदूरी भी नहीं दी गई। ऐसे में वे सभी लोग पैदल-पैदल चंबल नदी तक पहुंचे थे। पुलिस की पिटाई के दौरान ज्यादातर मजदूरों का सामान चंबल नदी किनारे उत्तरप्रदेश की सीमा में ही छूट गया। चंबल नदी पार कर 52 लोग आए हैं। यह सभी मजदूर हैं। इन्होंने बताया है कि पुलिस ने मारपीट कर उत्तरप्रदेश की सीमा से जबरन चंबल नदी में उतारकर मध्यप्रदेश में जाने के लिए कहा है। कलेक्टर साहब को उत्तरप्रदेश पुलिस के संबंधितों पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।

 

 

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