भगवान श्री कृष्ण और राधा का प्रेम दुनिया का सबसे पवित्र प्रेम माना जाता है। यही कारण है कि, दोनों का एक साथ नाम लिया जाता है। राधा-कृष्ण के प्रेम के किस्से न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में मशहूर हैं। यही कारण है कि, भक्त मथुरा की गलियों में राधा-कृष्ण के जीवन से जुड़े रहस्य जानने निकल पड़ते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं राधा की मौत कैसे हुई थी। और उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने क्यों तोड़ दी थी बासुंरी। अगर आप नहीं जानते हैं तो आज हम आपके इन्हीं सवालों का जवाब देने जा रहे हैं।
राधा कृष्ण से 3 साल 11 दिन बड़ी थीं. एक प्रसंग के अनुसार जब राधा 11 दिन की थी और कृष्ण एक दिन के थे तभी दोनों की पहली मुलाकात हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण जब 8 साल के थे तभी पहली बार उन्हें राधा से प्रेम की अनुभूति हुई थी।राधा और कृष्णा का प्रेम इतना गहरा और पवित्र था कि दोनों एक दूसरे की मन की बात को समझ लेते थे। श्रीकृष्ण पहली बार राधा से तब अलग हुईं थी। जब मामा कंस ने बलराम और कृष्ण को मथुरा आमंत्रित किया था। मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण राधा से मिले थे। राधा, कृष्ण के मन में चल रही हर गतिविधि को जानती थीं। राधा को अलविदा कह कृष्ण उनसे दूर चले गए।
भगवान श्रीकृष्ण को दो ही चीजों से प्यार था। राधा और बांसुरी से. कहते हैं कि जब राधा का अंत समय आया तो भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने आए। कृष्ण ने राधा की कमजोर अवस्था को देखकर उनसे हाल पूछा और पुराने दिनों को याद किया। राधा से भगवान श्रीकृष्ण ने कुछ मांगने को कहा तो राधा ने कहा कि वे उन्हें अपनी मुरीली की तान सुना दें। भगवान ने अपनी बांसुरी निकाली और सुरीली तान निकाली, राधा ने मुरीली की धुन को सुनते सुनते अपने प्राणों को त्याग दिया। राधा की मृत्यु से भगवान श्रीकृष्ण को बहुत दुख और इसी दुख के कारण उन्होंने अपनी प्रिय बांसुरी को तोड़ दिया। कहते है कि राधा के जाने का वियोग भगवान श्रीकृष्ण सहन नहीं कर सके और इसी कारण बांसुरी को तोड़ दिया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कभी कोई वाद्य यंत्र नहीं बजाया।
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कृष्ण की बांसुरी की धुन ही थी जिससे राधा श्रीकृष्ण की तरफ खिंची चली गईं। राधा की वजह से श्रीकृष्ण बांसुरी को हमेशा अपने पास ही रखते थे।भले ही श्रीकृष्ण और राधा का मिलन नहीं हो सका लेकिन उनकी बांसुरी उन्हें हमेशा एक सूत्र में बांधे रही।
जब कृष्ण वृंदावन से निकल गए तब राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था। राधा की शादी एक यादव से हो गई. राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाईं और बूढ़ी हुईं, लेकिन उनका मन तब भी कृष्ण के लिए समर्पित था। यही कारण है कि, राधा के जाने के बाद भगवान कृष्ण ने कभी कोई वाद्य यंत्र नहीं बजाया।