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मंगल ग्रह से पानी को किसने किया गायब ?

mangal मंगल ग्रह से पानी को किसने किया गायब ?

मंगल ग्रह कई सालों से वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है तो वहीं लोगों के लिए एक ऐसी जिज्ञासा जिसके सवालों का जवाब वो किताबों से लेकर सोशल मीडिया पर तलाशते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने दुनिया को उस वक्त चौंका दिया था। जब उन्होंने ये बताया था कि, कभी मंगल ग्रह पर पानी का अच्छा खासा स्त्रोत हुआ करता था।नासा का कहना है कि, मंगल पर मिला पानी दक्षिणी ध्रुवीय बर्फ़ीले इलाके में एक झील के रूप में है जो क़रीब 20 किलोमीटर इलाक़े में फैली है और जो बर्फ़ीली सतह से क़रीब एक किलोमीटर नीचे मौजूद है।

mangal 1 मंगल ग्रह से पानी को किसने किया गायब ?
नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने जिन झीलों के तल का पता लगाया था उनसे पता चलता है कि अतीत में मंगल की सतह पर पानी मौजूद रहा होगा।हालांकि क्षीण वायुमंडल की वजह से मंगल की जलवायु पहले के मुकाबले ठंडी हुई है जिससे परिणामस्वरूप यहां मौजूद जल बर्फ़ में बदल गया है।ये नई खोज मार्सिस की मदद से संभव हो सकी है. मार्सिस मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर पर मौजूद एक राडार उपकरण है।हालांकि मार्सिस ये पता नहीं लगा सका कि तरल जल की गहराई कितनी है। लेकिन शोध दल का अनुमान है कि ये कम से कम एक मीटर हो सकती है।

प्रोफ़ेसर ओरोसेई कहते हैं, “जो कुछ मिला है वो जल ही है। ये एक झील की तरह है, वैसा नहीं जैसा कि पिघली हुई बर्फ़ चट्टान और बर्फ़ के बीच भरी होती है।अध्ययन का नेतृत्व करनेवाले इटैलियन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफ़िज़िक्स के प्रोफ़ेसर रोबर्टो ओरोसेई ने कहा कि ये “संभवत: एक बहुत बड़ी झील हो सकती है।

इस खबर के सामने आने से उन लोगों को काफी राहत मिली जो मंगल ग्रह पर बसने के सपने देखते हैं। फिलहाल तो मंगल ग्रह पर बसना मुश्किल है। क्योंकि वैज्ञानिक इसका पता लगा रहे हैं। लेकिन हम आपको मंगल ग्रह से जुड़ी हुई कुछ रोचक जानकारी देते हैं। जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे।कँपकँपा देने वाली ठंड, धूल भरी आँधी का ग़ुबार और फिर बवंडर-पृथ्वी के मुक़ाबले ये सब मंगल पर कहीं ज़्यादा है। माना जाता है कि जीवन के लिए मंगल की भौगोलिक स्थिति काफ़ी अच्छी है।

गर्मियों में यहाँ सबसे ज़्यादा तापमान होता है 30 डिग्री सेल्सियस और जाड़े में यह शून्य से घटकर 140 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।धरती की तरह मंगल में भी साल में चार मौसम आते हैं- पतझड़, ग्रीष्म, शरद और शीत। धरती की तुलना में मंगल में हर मौसम लगभग दोगुना वक्त तक रहता है।धरती और मंगल पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति अलग होने के कारण धरती पर 100 पाउंड वज़न वाला व्यक्ति मंगल पर 38 पाउंड वज़न का होगा।

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तो देखा आने मंगल ग्रह पृथ्वी से कितना अलग है। इसलिए वैज्ञानिक दिन रात मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश करते रहते हैं।

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