दिल्ली। इन दिनों देश में दलितों और सामान्य जातियों के बीच फैल रही दूरियो को अब तक राजनेता अपने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसे में अब धर्म गुरूओं ने समाज को बांटने से रोकने के लिए स्वयं बीड़ा उठाया है।स्वामी प्रणवान्नद सरस्वती जी महाराज ने एक दलित बस्ती में जाकर दलित समुदाय के बीच रह कर भागवत कथा आरम्भ की है। अपने फेसबुक वॉल पर स्वामी जी ने फोटो के जरिए इस वाकिए को शेयर किया है। उनके इस वाकिए ने एक तरह हिन्दू समाज में पैदा हो रहे विघटन को रोकने का काम किया है। वहीं नेताओं द्वारा फैलाए गए गलत तथ्यों का भी खंडन किया है।
अपनी फेसबुक पोस्ट आई एक टिप्पणी जिसमें हरिजन शब्द को लेकर कुछ कहा गया था। इस बारे में स्वामी जी ने सटीक उत्तर देते हुए कहा कि जो अपने को हरिजन मानता है वही हरिजन। कोई जबरदस्ती नही। बाबासाहब जी ने बौद्ध धर्म स्वीकारा और वे बौद्ध कहलाये। कोई वैष्णव, कोई शैव, कोई बौद्ध, कोई जैन, कोई सिख, कोई शाक्त लेकिन है सब भारतीय हिन्दू कानूनन। क्योंकि बाबा साहब ने 4 ही कोड बिल बनाये है। हिन्दू, मुस्लिम, पारसी और ईसाई। हिन्दू कोड में सब भारतीय धर्म है। मुझे पूरा विश्वास है कि एक समय समत्वपूर्ण बंधुत्व की भावना के साथ सर्व समाज एक साथ होगा।
इसके साथ ही देश में फैल रही बामपंथी विचारधारा को लेकर स्वामी जी ने साफतौर पर कहा कि जो लोग बाबा साहब को एक वामपंथी की तरह प्रस्तुत कर रहे है वे लोग ही बाबा साहब को नही समझ रहे है। बाबासाहब को झंडा बनाकर वामपंथ का प्रचार कर रहे हैं। स्वामी जी कई बार समाज को जोड़ने और विघटन से रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यों को कर चुके हैं। निश्चित तौर पर स्वामी जी द्वारा ये कृत एक महान संकल्प है।