कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और वैक्सीनेशन कराना बेहद अहम चीजें मानी जा रही है। लेकिन कोरोना वायरस के मरीजों में ब्लैक फंगस के मामलों में हो रही बढ़ोतरी के पीछे मास्क में नमी का होना या गंदगी का होना भी माना जा रहा है।
गंदगी के कारण से आंखों में फंगल की संभावना
दरअसल मास्क पर जमा होने वाली गंदगी के कारण से आंखों में फंगल इन्फेक्शन की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा मास्क में नमी होने पर भी इस तरह का इंफेक्शन हो सकता है। एक ही मास्क को ज्यादा दिन तक प्रयोग में लाना भी लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है। डॉक्टरों की मानें तो खांसी के मरीजों को रोज 6 घंटे बाद अपना मास्क बदलना चाहिए। वहीं मिट्टी, पेड़ पौधों में फंगस होता है। ऐसे में संक्रमित को कूड़े वाले स्थान से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
धूल कणों से संक्रमित होने का खतरा
डॉक्टरों ने बताया कि सर्जिकल मास्क और कपड़े का मास्क ज्यादा देर तक नमी और धूल रोकता है। धूल कणों से भी फंगस से संक्रमित होने का खतरा है। जब कोई आदमी बोलता है तो मास्क पहनने से मुंह से निकलने वाली भाप उसे नम कर देती है, और सांस की गर्मी से यह फंगस के विकास के लिए उपयुक्त जगह बन जाती है। इसलिए लंबे समय तक एक ही मास्क पहनना ब्लैक फंगस के विकास के लिए एक सुरक्षित जगह बनाने में असरदार है।
आसपास की चीजों को साफ रखने की जरूरत
ब्लैक फंगस वेट क्लाइमेट में भी और 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पनपता है। वायरस से बचाव के साथ ही हमें मास्क और आसपास की चीजों को साफ रखने की जरूरत है। ज्यादातर लोग एक ही मास्क तीन से चार दिन तक गंदा होने के बाद भी लगाए रहते हैं। यह हमारे लिए फंगस को बुलाने जैसा है।इस समय अपनी सुरक्षा करना बेहद जरूरी है। सर्जिकल मास्क का कम से कम प्रयोग करें।
ऐसे करें अपनी सुरक्षा
मास्क को नियमित रूप से एंटीसेप्टिक लोशन से धोएं। सूरज की किरणें फंगस को मारने के लिए सबसे अच्छी होती है। इसलिए मास्क को कुछ घंटों के लिए धूप में रखें। साथ ही कपड़े का मास्क पहनने से बचें, बार-बार मास्क को ना छुएं। वहीं पानी पीते समय इस बात का ध्यान रखें कि मास्क गिला ना हो। और खांसी के मरीजों को हर 6 घंटे में मास्क बदल लेना चाहिए।