नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि स्वास्थ्य कवरेज योजनाओं का दायरा व्यापक होना चाहिए। ऐसी स्वास्थ्य कवरेज योजनाओं को बनाने की जरूरत है जो युवाओं, वृद्धजनों, दिव्यांग व्यक्तियों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को कवर कर सकें। यह बात उन्होंने आज गुवाहटी में असम सरकार के ‘अटल अमृत अभियान’ लांच करने के दौरान कही। इस योजना का उद्देश्य 3.2 करोड़ लोगों तक गुणवत्ता संपन्न चिकित्सा सेवाएं पहुंचाना है।
वेंकैया नायडू ने निजी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा पहुंचाने के सरकारी प्रयासों में पूरक बनने को कहा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता ऐसी होनी चाहिए, जो सेवा प्राप्त करने वालों के स्वास्थ्य में सुधार कर सके। लोगों को वित्तीय जोखिम से बचाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वित्तीय नुकसान के जोखिम पर लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग न करना पड़े।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली से अनेक गैर-संक्रमणकारी बीमारियां हो रही हैं। ऐसी बीमारियों को रोकने की जरूरत है, क्योंकि यह बीमारियां युवाओं को चपेट में ले रही हैं। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों की ओर से अनियमित जीवनशैली के खतरों, जंक फूड के उपयोग और शराब तथा तम्बाकू के उपयोग से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूकता पैदा करने के प्रयास किये जाने चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने स्कूली पाठ्यक्रमों में बदलाव पर बल दिया ताकि इनमें एनसीसी के पाठ्य भी शामिल किए जा सकें। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए शारीरिक अभ्यास को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां कही संभव हो बच्चों को योगासनों की शिक्षा दी जानी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के शेष भागों की तरह ही पूर्वोत्तर राज्य ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्साकर्मियों और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह खाई अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलकर और ग्रामीण इलाकों में अधिक संख्या में स्वास्थ्य सुविधाएं स्थापित करके पाटी जा सकती है।
इस अवसर पर असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, असम के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हिमंता बिस्वा सरमा आदि उपस्थित रहे।