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आई फैसले की घड़ी, सिद्धू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित

33 आई फैसले की घड़ी, सिद्धू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली। साल 1988 के रोड रेज मामले में फंसे पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले सिद्धू के वकील ने अपना पक्ष रखा। सिद्धू को इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने तीन साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसी सजा के खिलाफ सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट मे अपील की थी। 

इस दौरान वकील आरएस चीमा ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में सिद्धू को सजा सुनाते समय साक्ष्‍यों पर ध्‍यान नहीं दिया। उन्‍होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि गैर इरादतन हत्या के  मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ जो फैसला दिया, वह चिकित्सकीय साक्ष्यों पर नहीं था। मामले की सुनवाई आज भी जारी रहेगी। ये मामला पिछली सुनवाई में पंजाब सरकार के वकील के सिद्धू को दोषी ठहराने पर सुर्खियों में आ गया था।33 आई फैसले की घड़ी, सिद्धू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित

इसके बाद पंजाब की राजन‍ीति गर्मा गई और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को सफाई देेनी पड़ी। विपक्षी दलों ने सिद्धू का इस्‍तीफे की मांग की तो कैप्‍टन ने इसे नकार दिया। दूसरी आेर, रोड रेज की घटना में मारे गए व्‍यक्ति के परिवार के सक्रिय होने से सिद्धू की मुश्किलें बढ़ गईं। जस्टिस जे चेलेमेश्वर व एसके कौल की बेंच के समक्ष उनके वकील आरएस चीमा ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से जुड़े साक्ष्यों में कई कमियां थीं। दूसरे पक्ष के गवाहों ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अलग-अलग बयान दिए थे।

उनका कहना था कि छह विशेषज्ञ चिकित्सकों के पैनल को जिम्मा दिया गया था कि वह मौत के कारण पर अपनी राय दे, लेकिन इनमें से कुछ को गवाही के लिए नहीं बुलाया गया। केवल दो चिकित्सकों की ही गवाही दर्ज की गई। सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई थी, न कि ब्रेन हैमरेज से। सिद्धू को जानबूझकर नहीं फंसाया गया है।

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