चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जस्टिस रणजीत सिंह आयोग को सिख विरोधी बताया है और इससे दूर रहने की सलाह दी है। पूर्व सीएम ने बेअदबी मामले की जांच कर रहे आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए जस्टिस रणजीत सिंह से अपील की है कि वे सिखों के जज्बात से खेलने के लिए बनाए गए राजनीतिक कमीशन से खुद को अलग करें और पेशे की मर्यादा को बरकरार रखे। बादल ने कहा कि आपसे निवेदन है कि कांग्रेस सरकार के सिख विरोधी एजेंडे का हिस्सा न बने।
उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस के संकुचित सिख विरोधी एजेंडे के लिए न्यायपालिका का दुरुपयोग करने की कोशिश का विरोध करते हैं। इस कमीशन का मुख्य कारण कांग्रेस द्वारा श्री गुरुग्रंथ साहब जी की बेअदबी की दुर्भाग्याशाली घटनाओं के लिए सिख जत्थेबंदियों व संगठनों को जिम्मेदार ठहराकर सिख भाईचारे में विवाद खड़ा करने की अपनी राजनीतिक चाल को कानूनी चोला पहनाना है। उन्होंने कहा कि इस आयोग की रिपोर्ट इसका गठन किए जाने से पहले ही तैयार हो गई थी।
उन्होंने जस्टिस रणजीत सिंह को भेजे जवाबी पत्र में लिखा है कि उनको ऐसी पार्टी की सरकार ने नियुक्त किया है, जिसके हाथ हजारों निर्दोष सिखों के ख़ून से रंगे हैं और जिसने श्री हरिमंदिर साहिब में टैंक चलाने का हुक्म दिया था। इस फौजी हमले में गुरु ग्रंथ साहिब की न सिर्फ बेअदबी की गई थी, बल्कि उनका नामो निशां मिटा दिया गया था। उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और वे इसका पूरा सम्मान करते हैं।
बादल ने कहा कि धार्मिक स्थानों की बेअदबी की घटनाओं के दोषियों का पर्दाफाश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा जज के नेतृत्व में बनाए स्वतंत्र आयोग को वह सहयोग देंगे। इन घटनाओं के पीछे के सच का पर्दाफाश करना जरूरी है। इन मामलों की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। बादल ने कहा कि मेरा जीवन एक खुली किताब है। मैं आज भी एक आजाद आदमी की तरह घूमता हूं।