शैलेंद्र सिंह, लखनऊ: कहा जाता है कि ‘जहां चाह है, वहां राह है’… इस बात को सच साबित कर दिखाया है वाराणसी के एक युवा ने। यह नौजवान न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बना बल्कि दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
हम बात कर रहे हैं वाराणसी के युवा आविष्कारक कमलेश मौर्य की। 26 वर्षीय कमलेश ने मेक इन इंडिया की तर्ज पर एक ऐसा डिवाइस बनाया है, जिसे कार में लगाने से कार तब तक स्टार्ट नहीं होगी जब तक चालक सीट बेल्ट न पहन ले। कमलेश ने इस डिवाइस को नाम दिया है- कार सेफ्टी सिस्टम।
कार सेफ्टी सिस्टम डिवाइस
कार सेफ्टी सिस्टम डिवाइस की एक और खासियत यह भी है कि इसमें तीन लोगों के नंबर सेव किए जा सकते हैं। अगर आपके अलावा अन्य कोई आपकी कार में बैठता है, कार चोरी होती है तो यह डिवाइस सेव किए गए तीनों नंबर्स पर कार की लोकेशन भेज देगा।
दरअसल, कमलेश मौर्य ने वर्ष 2017 में अशोका इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट से बीटेक किया। इसके बाद उन्होंने जॉब सर्च करने की शुरुआत की, लेकिन इसमें उनका खास मन नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर खुद के मोटर गैराज में काम शुरू किया।
डिवाइस बनाने का आइडिया
कमलेश मौर्य ने भारत खबर के संवाददाता शैलेंद्र सिंह से खास बातचीत की और अपने आविष्कार में बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी मोटर वर्कशॉप पर कई लोग अपने चार पहिया वाहन की सर्विसिंग के लिए आते हैं। इनमें से कई लोग सीट बेल्ट नहीं पहनते हैं। आए दिन कई ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें सीट बेल्ट न पहनने के कारण सड़क हादसों में लोग अपनी जान गवां देते हैं।
कमलेश ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के समय वह खाली थे तो उनके दिमाग में आया कि क्यों न कोई ऐसी डिवाइस बनाई जाए, जिससे चार पहिया वाहन चलाने वाले लोगों को मजबूरन ही सही सीट बेल्ट पहनना पड़े। इस बारे में उन्होंने अपने बड़े भाई शशिकांत मौर्य और अपने रेफिट मोटर एंड सर्विस में काम करने वाले करीब 25 कर्मचारियों से विचार-विमर्श किया। सभी ने इस पर सहमति जताई और शुरुआत हुई कार सेफ्टी डिवाइस बनाने की।
कैसे काम करता है यह डिवाइस?
कमलेश मौर्य ने कार सेफ्टी सिस्टम डिवाइस के काम करने की तरीके के बारे में बताते हुए कहा कि, यह डिवाइस वायरलेस है। इसमें 2 सेंसर हैं। एक सेंसर कार के इंजन से जोड़ा जाता है और दूसरा सेंसर सीट बेल्ट के लॉक के साथ। इसके बाद जब हम कार में बैठकर सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं तो सेंसर को सिग्नल नहीं मिलता और कार का इंजन लॉक होने के कारण कार स्टार्ट नहीं होती है। लेकिन हम जैसे की सीट बेल्ट लगाकर बंद करते हैं तो दूसरा सेंसर, पहले सेंसर को सिग्नल भेज देता है और कार ऑनलॉक होकर स्टार्ट हो जाती है। कमलेश ने यह भी बताया कि, इस डिवाइस में वाहन मालिक, पुलिस सहित तीन लोगों के नंबर भी सेव किए जा सकते हैं, जिससे कार की चोरी होने पर उन्हें तत्काल लोकेशन की सूचना मिल जाती है।
डिवाइस बनाने में सामान और लागत
कमलेश मौर्य ने बताया कि, यह डिवाइस बैट्री से कनेक्ट होकर चलती है और अगर कोई इसे बैट्री से डिस्कनेक्ट कर देता है तो भी यह 8 घंटे तक काम करती है। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस को गैराज में पड़े कार के पार्ट्स, 12 वोल्ट रिले, रिमोट सेंसर, रेडियो सर्किट, ब्लूटूथ और जीपीएस की मदद से तैयार किया गया है। कमलेश ने बताया कि कार सेफ्टी सिस्टम डिवाइस बनाने में करीब डेढ़ से दो महीने का समय लगा और 3000 से 3500 रुपए की लागत लगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस डिवाइस के लिए और भी सर्च की जा रही है। साथ ही मार्केट में इसका प्राइस करीब 1500 रुपए रखकर शुरुआत की जाएगी।
कमलेश मौर्य के सामने घाट मुरारी चौक स्थित रेफिट मोटर एंड सर्विस में वर्तमान में करीब 25 कर्मचारी काम करते हैं। इस डिवाइस को बनाने के बाद उन्होंने इसका ट्रायल अपने गैराज में शुरू भी कर दिया है। इस काम में कमलेश के बड़े भाई शशिकांत मौर्य भी उनका पूरा साथ देते हैं। आज दोनों भाई मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में सहयोग दे हैं और अब उनका लक्ष्य और भी युवाओं को इससे जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का है। मैकेनिकल से बीटेक करने वाले कमलेश मौर्य ने आत्मनिर्भर बनकर युवाओं के सामने एक मिसाल पेश की है।