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जानें उत्तराखंड के ”रानी खेंत” की कहानी, क्यों हैं खास रानी खेंत !!

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उत्तराखंड।  देखिए उत्तराखंड में दिल को लुभाने वाली ”रानी खेंत” के कुछ नजारें

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वैसे तो उत्तराखंड में घूमनें के लिए बहुत सारी जगहें हैं और हर एक जगह की अलग कहानी पर आज हम आपकों बताएंगें ‘रानी के मैदान’ जिसे रानी खेंत के नाम से जाना जाता हैं। ब्रिटिश ने 1869 में इस जगह को फिर से खोजा और इसे अपने ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में तब्दील कर दिया।  वर्तमान में, औपनिवेशिक विरासत को रखते हुए, रानीखेत भारतीय सेना के प्रसिद्ध कुमाऊं रेजीमेंट के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। यह अद्भुत स्थान अपने हरे भरे जंगल और घास के मैदान के लिए एक बड़े पैमाने पर पर्यटनों का अंतर्वाह करता है।  रानी खेंत अल्मोड़ा जिले का एक सुंदर हिल स्टेशन है। ऐसा माना जाता हैं कि पद्मावती, कुमाऊं क्षेत्र की सुंदर रानी रानीखेत आयीं थीं और इस जगह की खूबसूरती की कायल हो गईं। इसलिए, सुखहरदेव ने इस जगह पर एक महल का निर्माण किया और उसे ”रानी खेंत” का नाम दिया।

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रानी खेंत का इतिहास
कत्युरी वंश के राजा सुखहरदेव की रानी पद्मावती ग्रीष्मकालीन में (रानीखेत) के हरे भरे खेतों में आकर विश्राम करती थी। रानी इस स्थान की खूबसुरती से मोहित हो गयी थी। इस कारण राजा सुखहरदेव ने इस स्थान पर एक महल की स्थापना कर डाली। रानी आकर इस खेंत में आकर आराम करती थी इसलिए इस खेंत का नाम ”रानी खेंत” पड़ा। उस समय राजा जिस स्थल पर भी विजय प्राप्त करते थे उस स्थान पर राज्य की सरहद पर ख़ूबसूरत स्तंभों का निर्माण कर दिया करते थे।

इन्हीं स्तंभों में से एक स्तंभ सोमनाथ ग्राउंड के पास अल्मोड़ा को जाने वाले सड़क तथा यदुनाथ द्वार के बीच रानीखेत में भी स्थापित था। इस स्तंभ को धार्मिक विधि विधान के साथ सेना ने शिव मंदिर के समीप एक नए खूबसूरत मंदिर में सितम्बर, 2015 को शिवलिंग के रूप मैं तब्दील कर दिया गया। इस स्तम्भ में विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा उकेरी गयी है। जानकारों के मुताबिक यह सन् 1,450 या पहले स्थापित किये गए होंगे। इसलिए इस स्थान को रानीखेत की स्थापना का स्थल कहा जाता है।

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क्या हैं ख़ास
नैनीताल से 60 किमी की दूरी पर और अल्मोड़ा शहर से 50 किमी की दूरी पर स्थित, रानीखेत हरे भरे देवदार, ओक और देवदार के जंगलों के बीच में विश्राम करने का अवसर देता है। यात्री तेंदुआ, काकड़, सांभर, तेंदुआ बिल्ली, पहाड़ी बकरी, भारतीय खरगोश, लाल मुख वाला बंदर, पाइन नेवला, सियार, लाल लोमड़ी, लंगूर और साही जैसे जानवरों की विभिन्न प्रजातियों को जंगलों में देख सकते हैं। इसके अलावा, मंदिर, ट्रैकिंग और पर्यटन स्थल सहित रानीखेत में कई पर्यटक आकर्षण हैं।

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झूला देवी मंदिर और बिनसर महादेव, दोनों रानीखेत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। झूला देवी मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में किया गया था। यह मंदिर हिंदू देवी दुर्गा को समर्पित है और कई तीर्थयात्री देवी की प्रार्थना के लिए यहाँ आते हैं। रानीखेत से 15 किमी की दूरी पर स्थित, बिनसर महादेव, हिंदू भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर देवदार के जंगल से घिरा हुआ है और यहां एक प्राकृतिक जल झरना है।

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कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय और स्मारक एक और अच्छी तरह से जाना जाने वाला पर्यटकों का आकर्षण है। यह रानीखेत के सैनिकों द्वारा दिखायी गई बहादुरी और बलिदान को दर्शाता है। 1978 में, कुमाऊं क्षेत्र की विरासत की रक्षा के लिए एक संग्रहालय भी बनवाया गया था। यहाँ उन सैनिकों के सम्मान में, जिन्होंने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया, परेड का आयोजन किया जाता है।

पर्यटक सदर बाजार का लुत्फ उठा सकते हैं, जो रानीखेत में खरीददारी का प्रमुख केंद्र है। हस्तनिर्मित ऊनी उत्पाद भी उचित मूल्यों पर बाजार में उपलब्ध हैं। रानीखेत के अन्य आकर्षण द्वारहाट, भालू बांध, ताड़ीखेत, कुमाऊं रेजीमेंट गोल्फ कोर्स, छावनी आशियाना पार्क, सनसेट प्वाइंट और खूंट हैं।

 सृष्टि विश्वकर्मा…

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