निर्मल उप्रेती (अल्मोड़ा)
स्वामी विवेकानंद पहली बार 1890 में कुमाऊं के दौरे पर आए थे. अल्मोड़ा के काकड़ीघाट में पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें ज्ञान की अनुभूति हुई थी.और उनका सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता रहा है. वह तीन बार अल्मोड़ा आए थे.
स्वामी जी शहर में जिन जगहों पर ठहरे थे, वहां सालभर लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. अल्मोड़ा के ब्राइट एंड कॉर्नर में बनी रामकृष्ण कुटीर भी इनमें से एक जगह है.
रामकृष्ण कुटीर की स्थापना 1916 में हुई थी. इसको स्थापित करने के लिए स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु भाई शिवानंद महाराज से कहा था. यह स्थान पवित्र और शांत है. स्वामी जी ने गुरुभाई से कहा था कि इस स्थान पर एक आश्रम होना चाहिए, तब जाकर यहां इस कुटीर की स्थापना की गई.
देश-विदेश से लोग यहां ध्यान करने के लिए आते हैं.इस मिशन के अध्यक्ष कहना है कि अल्मोड़ा आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपुर्ण स्थल है विवेकानंद जी यहां पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की आज यहाँ बढ़ी संख्या में विवेकानंद जी के अनुयायी और पर्यटक यहां आते हैं।