गैरसैंण। उत्तराखंड के इतिहास में वित्त वर्ष 2007-08 में पहली बार जेंडर बजट पेश किया गया था, जिसके बाद हर वित्त वर्ष में इसे शामिल किया जाने लगा। जेंडर बजट का मुख्य उदेश्य महिलाओं की स्थिति को सुधारना और उनके सशक्तिकरण को लेकर काम करने के लिए पेश किया जाता है इस बजट में महिलाओं के विकास को लेकर अलग से एक राशि आवांटित की जाती है। शिक्षा,स्वास्थ्य, श्रम रोजगार में महिलाओं को किसी प्रकाश सशक्त किया जाएगा इस बजट में इसे निर्धारित किया जाता है। जेंडर बजट मुख्य बजट से अलग होता है। इस बजट के लिए जो राशि आवंटित होती है वो मुख्य बजट के लिए आवंटित राशि से पूर्णता अलग होती है।
इस बार जेंडर बजट के लिए त्रिवेंद्र रावत सरकार ने 45,58,509 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जोकि वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले लगभग 15 फीसदी ज्यादा है। बजट में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इसे दो वर्गो में बाट दिया गया है। पहली श्रेणी में बजट निर्धारित करने वाली योजनाओं और दूसरी श्रेणी में 20 फीसदी से अधिक वाली योजनाओं को रखा गया है। जेंडर बजट के द्वारा इस बार सरकार महिलाओं में योजनाओं के प्रति समन्वय स्थापित करेगी। इस बजट के जरिए सरकार मातृ शक्ति को सम्मानित करते हुए समाज में समानता स्थापित करेगी।
इस बार जेंडर बजट में राजस्व एवं समान्य प्रशासन के लिए 20 हजार रुपये आवंटित की गई है। वित्त,सचिवालय और नियोजन के लिए 130,3500 हजार आवंटित किए गए हैं। पुलिस और जेल में बंद महिलाओं के लिए 21,167 हजार। शिक्षा, खेल और युवा स्वास्थ्य के लिए 25,25,786 हजार। जलपूर्ति और आवास के लिए प्रत्येक महिला को दिए जाएगे 2000 रुपये। श्रम और रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 21,12,31 हजार का प्रावधान किया गया है। उद्योग के लिए सरकार 1400 रुपये प्रत्येक महिला को देगी। औद्योगिक विकास के लिए सरकार 69,5,886 हजार रुपय़े किए गए आवंटित।