Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई हो है। सभी पार्टियां प्रत्याशियों की सूची जारी करने में लगे हैं। इसी क्रम में कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसमें कुल 53 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई है। घोषित सूची में पार्टी के सभी 9 सिटिंग विधायकों को जगह दी गई है।
नई दिल्ली में शनिवार रात को पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक की ओर से प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई। घोषित सूची में पार्टी के सभी नौ सिटिंग विधायकों को जगह दी गई है। खटीमा सीट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ पार्टी ने भुवन चंद्र कापड़ी को मैदान में उतारा है। पहली सूची में तीन महिलाओं को उम्मीदवार बनाया गया है।
देवभूमि उत्तराखंड की सेवा करने के लिए पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव 2022 के लिए घोषित प्रत्याशियों को हार्दिक शुभकामनाएं
कांग्रेस का आना हुआ तय,
अब उत्तराखंड में जनता की होगी विजय pic.twitter.com/dGiJ5Z8CWK— Uttarakhand Congress (@INCUttarakhand) January 22, 2022
इन उम्मीद्वारों के नामों की सूची को ट्वीट करने के साथ ही कांग्रेस ने लिखा, “देवभूमि उत्तराखंड की सेवा करने के लिए पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव 2022 के लिए घोषित प्रत्याशियों को हार्दिक शुभकामनाएं। कांग्रेस का आना हुआ तय, अब उत्तराखंड में जनता की होगी विजय।”
सूची के अनुसार उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल श्रीनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। तो वहीं पिछले साल ही BJP से कांग्रेस में शामिल होने वाले यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य, बाजपुर और नैनीताल सीट से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा चकराता से प्रीतम सिंह, पिरान कलियर से फुरकान अहमद, केदारनाथ से मनोज रावत, धारचूला से हरीश धामी, भगवानपुर से ममता राकेश, मंगलौर से काजी निजामुद्दीन, रानीखेत से करण महरा, जागेश्वर से गोविंद सिंह कुंजवाल, जसपुर से आदेश चौहान के नाम शामिल हैं।
14 फरवरी को मतदान
दरअल उत्तराखंड में आने वाले 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। इसके नतीजे 10 मार्च को आएंगे। चुनाव की तारीख नजदीक होने के साथ ही इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। 29 जनवरी को नामांकन की स्क्रूटनी होगी और 31 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे।
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इसके अलावा कांग्रेस में हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य का दोबारा कांग्रेस में शामिल होना पार्टी को हुए बड़े लाभ के रूप में देखा जा रहा है। दरअशल साल 2016 में हरिश रावत के खिलाफ आवाज उठाने के कारण कांग्रेस से कई प्रमुख नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था। नेताओं के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेताओं की कमी के संकट से जूझ रहा था।