नई दिल्ली। एशिया में चीन के प्रभाव को रोकना है तो भारत की संबंधों को और मजबूत करना ही प्राथमिकता होगी। अमेरिकी थिंक टैंक ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि अमेरिका के लिए भारत से संबंधों में प्रगाढ़ता बहुत ही आवश्यक है। ये बात इस वक्त सामने आई है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। जहां कई व्यापारिक समझौतों के साथ रक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण समझौते दोनों देशों के बीच होने हैं।
अमेरिका के अटलांटिक काउंसिल ने ये सुझाव ट्रंप प्रशासन को दिया है। पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले रिलीज हुए ट्रांसफार्मिंग इंडिया फ्रॉम बैलेंसिंग टू लीडिंग पावर नामक पॉलिसी पेपर में अटलांटिक काउंसिल ने ये सुझाव दिया है। एशिया में कम होते अमेरिकी प्रभाव और चीन के प्रभाव से अमेरिकी बाजार पर पड़े असर को खत्म करने के लिए भारत ही एक बड़ा उपाय है। क्योंकि बिगत के सालों में चीन ने आर्थिक प्रगति के साथ रक्षा के क्षेत्र में व्यापक प्रगति कर वैश्विक स्तर के साथ क्षेत्रीय स्तर पर भी अमेरिका का प्रभाव कम किया है।
अगर गौर फरमाएं तो देश के पूर्व केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी और साउथ एशिया सेंटर ऑफ अटलांटिक काउंसिल के डायरेक्टर भारत गोपालास्वामी के एक लिखित पॉलिसी पेपर में भी इसी बात का जिक्र है कि अगर अमेरिका को वैश्विक स्तर के साथ मध्य और साउथ एशिया में चीन के प्रभाव को कम करना है तो उसे भारत को प्राथमिकता देनी होगी। इसके साथ ही उसे चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत के साथ अपने सम्बन्धों की नींव नये सिरे से रखी होगी।
आपको बतादें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनावी दौरे के दौरान भारत से सम्बन्धों को लेकर साफ कहा था कि भारत के साथ और बेहतर रिश्ते उनके प्रशासन की अहम कड़ी होंगे। अब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति हैं ऐसे में पीएम मोदी की उनके कार्यकाल में पहली यात्रा हो रही है। अगर इस यात्रा के दौरान पूर्व प्रस्तावित 7.5 बिलियन की फंडिंग का निवेश भारत में होता है तो यह दोनों देशों के बीच एक नये और मजबूत रिश्ते की अहम कड़ी होगा।