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बेरोजगारी का दंश झेल रहे फिजियोथेरेपिस्ट, योगी सरकार से की गई ये मांग   

बेरोजगारी का दंश झेल रहे फिजियोथेरेपिस्ट, योगी सरकार से की गई ये मांग   

लखनऊ: प्रोवेंशियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा ने कहा कि, फिजियोथेरेपी एक चमत्कारी चिकित्सा पद्धति है। आधुनिक युग में महत्वपूर्ण औषधि रहित व साइड इफेक्ट से परे, एक ऐसी विधा है, जो पूर्णरूप से विभिन्न रोगों के इलाज में प्रभावी व कारगर है।

उन्‍होंने कहा कि, आज की भागदौड़ भरी व तनावपूर्ण जीवन शैली में हमारे शारीरिक कमजोरी व अवसाद से ग्रसित होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में फिजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण विधा है, जो शरीर को मजबूत बनाने में कारगर है। इसके द्वारा जोड़ों को पूर्ण रूप से गतिशील व मांसपेशियों को सुदृढ़ किया जा सकता है। वर्तमान में अधिकांश लोग कमर दर्द, गर्दन दर्द, गठिया, लकवा और अन्य कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हो रहे हैं।

ऐसे किया जाता है उपचार

अतुल मिश्रा ने कहा कि, इन समस्याओं से निजात दिलाने में फिजियोथेरेपी पूर्ण रूप से प्रभावी व कारगर चिकित्सा पद्धति है। इसमें बिना दवा प्रयोग किए मरीजों को शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाते हुए बीमारी से पूर्ववत अवस्था में लाने की कोशिश की जाती है। इस विधा में हीट थेरेपी, कोल्ड थेरेपी, इलेक्ट्रिक उपकरण, मैग्नेटिज्म व कई प्रकार के कसरतों का प्रयोग किया जाता है।

एसोसिएशन अध्‍यक्ष ने कहा कि, कोरोना काल में फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति कई मरीजों के लिए वरदान साबित हुई। इस चिकित्सा पद्धति की महत्ता को सभी के द्वारा स्वीकार किया गया व सराहा गया। संक्रमण से बहुत से मरीज फेफड़ों के इंफेक्शन के चलते आइसीयू में व वेंटिलेटर पर जिंदगी की लड़ाई लड़ने में अक्षम थे, ऐसे में फिजियोथेरेपी चिकित्सा ने उन्‍हें इससे निजात दिलाकर जिंदगी वापस दी। फिजियोथेरेपिस्ट ने अपनी जिंदगी पर खेलकर सेवाएं दीं और बहुत से मरीजों को जीवनदान दिया।

राजकीय चिकित्सालय में 504 फिजियोथेरेपिस्ट तैनात

वहीं, प्रोवेंशियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री अनिल कुमार ने बताया कि, उत्तर प्रदेश में करीब 25-30 हजार फिजियोथेरेपिस्ट स्टेट मेडिकल फैकल्टी में इनरोल्ड हैं। महानिदेशक स्वास्थ्य द्वारा प्रस्तुत डाटा के अनुसार प्रदेश के राजकीय चिकित्सालय में 504 फिजियोथेरेपिस्ट तैनात हैं, जिसमें केवल 57 फिजियोथेरेपिस्ट नियमित व 447 फिजियोथेरेपिस्ट संविदा के आधार पर हैं। चिकित्सा शिक्षा में भी फिजियोथेरेपिस्टों की संख्या लगभग इतनी ही है। उन्‍होंने बताया कि, सरकारी अस्पतालों, संस्थानों में फिजियोथेरेपिस्टों की संख्या शून्‍य है, जिसके कारण प्रदेश की जनता इस सुविधा का लाभ नहीं ले पा रही है। वहीं, हजारों की संख्या में प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।

सरकार से की ये मांग

ऐसे में एसोसिएशन अध्यक्ष अतुल मिश्रा व महामंत्री अनिल कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ व मुख्य सचिव से मांग की है कि, इस विधा की आवश्यकता को देखते हुए प्रदेश के सभी विशिष्ठ संस्थान, जिला चिकित्सालय, सीएचसी एवं पीएचसी पर फिजियोथेरेपिस्ट की मानक के अनुसार पद सृजन व नियमित नियुक्ति हो। उन्‍होंने यह भी कहा कि, केंद्र की भांति कैडर पुनर्गठन, संविदा पर कार्यरत फिजियोथेरेपिस्ट को जीएनएम व एएनएम की तरह नियमित नियुक्ति में वरीयता प्रदान किए जाने का प्राविधान किया जाए, जिससे प्रदेश की जनता को इस विधा का लाभ मिल सके।

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