प्रयागराज: पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी से फिलहाल आम जनता को राहत मिलने की उम्मीद कम है। अगले दो महीने तक इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल 85 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। ऐसे में इसका असर देश पर भी पड़ेगा।
तेल उत्पादन को लेकर यूएई-सऊदी अरब में तकरार
फिलहाल, तेल कंपनियां रोजाना पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी कर रही हैं। देश के कई शहरों में पेट्रोल 100 और डीजल 90 के पार चला गया है। केडिया कमोडिटी के निदेशक अजय केडिया के अनुसार, यूएई और सऊदी अरब में तेल के उत्पादन को लेकर के ठन गई है। जहां यूएई तेल उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में नहीं है तो वहीं सऊदी अरब इसको बढ़ाना चाहता है।
अभी और ढीली करनी पड़ सकती है जेब
उन्होंने बताया कि, इस वजह से तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने अपनी बुधवार को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दिया है। इसके चलते कच्चे तेल का दाम 76 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया। सितंबर तक इसके दाम 85 डॉलर प्रति बैरल के पार जाने की उम्मीद है। ऐसे में देशवासियों की जेब पर अभी और आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी कीमत पर कस्टम ड्यूटी, एक्साइज और वैट घटाने के पक्ष में नहीं दिख रही हैं। कोरोना की वजह से वैसे ही सरकारों के पास आय के साधन कम हो गए हैं। केंद्र और राज्यों को सबसे ज्यादा आय भी केवल पेट्रोलियम उत्पादों और शराब की बिक्री से होती है।