कानपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को कानपुर पहुंचे। उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ छत्रपति साहू जी महाराज (सीएसजेएम) विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित 75 बच्चों के अन्नप्राशन समारोह में हिस्सा लेंगे। इस दौरान राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा संपन्न बनाने के लिए सामग्री भी वितरित की।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि, आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेने व उन्हें सुविधा संपन्न बनाने की दृष्टि से की गई यह पहल अत्यंत अभिनंदनीय है। आंगनबाड़ी केंद्र सामाजिक व्यवस्था की नींव हैं। कोरोना कालखंड में निगरानी समितियों के माध्यम से आंगनबाड़ी की कार्यकत्रियों ने बहुत अच्छा व प्रशंसनीय कार्य किया है।
‘नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल रहीं आंगनबाड़ी कार्यकत्री’
सीएम योगी ने कहा कि, उत्तर प्रदेश, देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है। कोरोना काल में इस आबादी को लेकर प्रत्येक व्यक्ति सशंकित था, लेकिन प्रदेश ने जिस मॉडल से कोविड पर नियंत्रण पाया है उसकी सराहना WHO व नीति आयोग से लेकर दुनिया के कई संस्थानों ने की है। उन्होंने कहा कि, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां निरंतर नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल रही हैं।
सूबे के मुखिया ने कहा कि, कोविड की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए घर-घर जाकर स्क्रीनिंग के साथ-साथ मेडिसिन किट वितरण का कार्य भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा किया जा रहा है। सरकार आगे और समाज पीछे हो तो किसी भी कार्ययोजना के सफल होने की संभावना बहुत क्षीण होती है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, अगर समाज स्वयं आगे होता है व सरकार पीछे तो यह सफल जनांदोलन बनकर लोक कल्याण का कारक बनता है। उन्होंने कहा कि, पूर्व में प्रत्येक विश्वविद्यालय एवं संस्थानों द्वारा TB की बीमारी से पीड़ित बच्चों को गोद लेने की पहल ने व्यापक सफलता प्राप्त की है। काफी संख्या में बच्चे व बीमार व्यक्ति TB मुक्त होकर सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हुए हैं।
‘आंगनबाड़ी को प्री-प्राइमरी के रूप में आगे बढ़ाने का निर्णय’
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि, पिछले वर्ष राज्यपाल जी की पहल पर यूपी सरकार ने आंगनबाड़ी को प्री-प्राइमरी के रूप में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था। यहां के बच्चों को सामान्य खेलकूद व ज्ञानवर्धन से जोड़कर मजबूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, आंगनबाड़ी से जुड़ी हुई समस्याओं का समाधान करने के लिए की गई पहल वास्तव में अंत्योदय की उस परिकल्पना को साकार करती है, जिसकी प्रेरणा पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने 60 के दशक में इस देश को दी थी।