लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मानसून सत्र 17 अगस्त से शुरू करने का निर्णय लिया है। चुनाव को देखते हुए इस बार का मानसून सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है। विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। इस दौरान बेरोजगारी, महंगाई, किसान आदि के मुद्दों पर विपक्ष हंगामा कर सकता है।
मंत्रिपरिषद ने दोनों सदनों का इस साल का दूसरा सत्र 17 अगस्त से शुरू करने के लिए अनुमोदित किया है। गौरतलब है कि दोनों सदनों का पिछला सत्र 18 फरवरी को बुलाया गया था। यह सत्र 4 मार्च तक चला था।
संविधान के अनुच्छेद 174 के खण्ड (1) में यह व्यवस्था है कि विधान मण्डल के प्रत्येक सदन के एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच 06 माह का अन्तर नहीं होगा। हालांकि पिछले सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की अंतिम बैठक 4 मार्च को हुई थी, इसलिए इस संवैधानिक व्यवस्था के क्रम में विधान मण्डल का आगामी सत्र 4 सितम्बर से पहले किया जाना अनिवार्य है।
सपा जातीय जनगणना का उठा सकती है मुद्दा
मानसून सत्र में किसानों का मुद्दा हावी रहेगा। इस पर लगभग सभी विपक्षी दल एकजुट हो सकते हैं। वहीं समाजवादी पार्टी की रणनीतियों को देखें तो वो इस बार सदन में जातीय जनगणना की मांग कर सकती है। इसको लेकर सपा लगातार बैठक भी कर रही है। संभावना जताई जा रही है जातीय जनगणना की मांग को लेकर सपा हंगामा भी कर सकती है।
इन मुद्दों पर आक्रामक रहेगा विपक्ष
इस बार सदन में शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के आरोप का मुद्दा गरमाने की उम्मीद है। किसानों के गन्ना के बकाए का भुगतान और कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष हमलावर हो सकता है। वहीं आजमगढ़ समेत कई जगहों पर दलितों के खिलाफ हुई हिंसा भी सदन में विपक्ष का मुद्दा बन सकती है। कोरोना के कारण हुई मौतों का विवाद भी गरमा सकता है।