- भारत खबर || लखनऊ
हाथरस मामलों की खबरों से यूपी सरकार हलकान है. ऐसे में वरिष्ठ आई.ए.एस सरकार के संकट मोचन बनेंगे. सियासी और मीडिया के गलियारों में हो रही दिलचस्प चर्चाओं में कहा जा रहा है कि हर दिल अज़ीज़ नवनीत सहगल यूपी की हर सरकार में अज़ीज़ रहे अब योगी जी के भी अज़ीज़ हो गये हैं.’
हर सरकार में नवरत्न होते हैं. इसमें कुछ अत्यंत भरोसे के होते हैं. लेकिन जो अफसर सरकार के विश्वास के गुलदस्ते में महकता है वो दूसरी सरकार के भरोसे में फिट नहीं होता है. अमुमन ऐसा होता है. इस रवायत को एक डैशिंग अफसर ने तोड़ा है. वरिष्ठ आईएएस अफसर नवनीत सहगल की सिविल सेवाओं में वो ख़ूबियां हैं कि यूपी की कोई भी सरकार इस आलाधिकारी की कार्यकुशलता का लाभ लेना चाहती है.
तमाम खूबियों के साथ मीडिया मैनेजमेंट में भी ये माहिर समझे जाते हैं. कांग्रेस के सत्ता वनवास के बाद करीब ढाई दशक से अधिक समय से यूपी में सपा, बसपा और भाजपा की सरकारें बनती रहीं. 1988 के बैच के आईएएस नवनीत सहगल की योग्यता को सबसे पहले बसपा सुप्रीमों मायावती ने परखा बहन जी ने अपने कार्यकाल में सहगल को शंशाक शेखर के बाद दूसरा सार्वधिक भरोसेमंद अफसर माना. पिछली सपा सरकार में अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में नवनीत सहगल को बड़ी जिम्मेदारियां दीं.सूचना/मीडिया संभालने की जिम्मेदारी के साथ अखिलेश सरकार ने ड्रीम प्रोजेक्ट साकार करने का दायित्व दिया. और अब ये हरदिल अज़ीज़ अफसर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अज़ीज बनते जा रहे हैं.
यूपी सरकार ने इन्हें मीडिया संभालने की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे दी है. आमतौर से ये दायित्व काफी ठोक-बजा कर किसी योग्य और भरोसेमंद आलाधिकारी को दिया जाता है. सरकार के कार्यकाल का अंतिम लगभग डेढ़ वर्ष का कार्यकाल सूचना और प्रचार-प्रसार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
सरकार का अपने कार्यकाल में किये गये तमाम जनकल्याणकारी कार्यों, योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पंहुचाने का लक्ष्य होता है. पिछले दौर पर ग़ौर कीजिए तो पता चलेगा कि सरकार का अंतिम एक-डेढ़ वर्ष वो समय होता है जब सरकार की खामियों को विपक्ष और मीडिया उजागर करता है. उत्तर प्रदेश का एक अलग सियासी मिजाज़ है. किसी भी सरकार के अंतिम बरस में सो रहा विपक्ष भी जाग जाता है. विरोधी ऊर्जा के साथ सक्रिय होने लगता है. सियासी कारसतानियों से धर्म या जातिवाद के दानव का क़द बढ़ने लगता है.
प्रशासन के नाकारेपन की नुमाइश में कानून व्यवस्था से जनता नाखुश होने लगती है. ऐसे समय में बहुत सोच समझ कर और परख कर ही मुख्यमंत्री योगी ने नवनीत सहगल को मीडिया संभालने की जिम्मेदारी दी होगी. उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी के तहत ए.सी.एस सूचना विभाग बनाया गया है. इत्तेफाक कि इधर उत्तर प्रदेश सरकार की नकारात्मक चर्चाये़ खूब हो रही हैं. कभी जातिवाद का आरोप तो कभी कोराना किट घोटाले का इल्जाम. स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थितियों से लेकर बेरोजगारी के कष्ट उजागर हो रहे है.