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दिल्ली में कभी तांगा चलाने वाला ये शख्स आज लेता है 21 करोड़ की सैलरी, जाने पूरी कहानी

MDH दिल्ली में कभी तांगा चलाने वाला ये शख्स आज लेता है 21 करोड़ की सैलरी, जाने पूरी कहानी

कहते हैं इंसान जब छोटा होता है तभी वो बड़ा बनता है। ऐसी है एक कहानी है एक ऐसे शख्स के बारे में जिन्होंने भारतीय उपभोक्ता बाजार में एक

नई दिल्ली। कहते हैं इंसान जब छोटा होता है तभी वो बड़ा बनता है। ऐसी है एक कहानी है एक ऐसे शख्स के बारे में जिन्होंने भारतीय उपभोक्ता बाजार में एक ऐसे ब्रांड को पेश किया जिसे आज विदेशों में भी जाना जाता है। इंस ब्रांड ने दुनिया के कई देशों को अपना दिवाना बना लिया है। इस ब्रांड के सीईओ को शायद हर किसी ने किसी मैग्जिन कवर पर हर किसी ने देखा होगा। आज के लोगों के लिए इस ब्रांड के सीईओ जाना माना चेहरा है।

बता दें कि भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इस आजादी के साथ ही देश को विभाजन का सामना करना पड़ा, जिसमें लाखों परिवार की जिंदगियां बर्बाद हो गई। उस समय ऐसा ही एक परिवार धर्मपाल गुलाटी का भी था। रोजगार की तलाश में दिल्ली आकर उन्होंने तांगा चलाना शुरू किया, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। इसीलिए उन्होंने वो तांगा अपने भाई को देकर मसाले बेचना शुरू किया। उनका मसाला लोगों की जुबान पर ऐसा चढ़ा कि देशभर में धूम मच गई। हैरान कर देने वाली कामयाबी की ये कहानी देश के मशहूर उद्योपति एमडीएच मसाले के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी की है।

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दिल्ली आकर तांगा चलाना शुरू किया

धर्मपाल गुलाटी के सामने दिल्ली आकर पैसा कमाना सबसे बड़ी चुनौती थी। उन दिनों धर्मपाल की जेब में 1500 रुपये ही बाकी बचे थे। पिता से मिले इन 1500 रुपये में से 650 रुपये का धर्मपाल ने घोड़ा और तांगा खरीद लिया और रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने लगे। कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा भाई को दे दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटा सा खोखा लगाकर मसाले बेचना शुरू किया।

मसाले का कारोबार चल निकला

धर्मपाल ने मिर्च मसालों का जो साम्राज्य खड़ा किया, उसकी नींव इसी छोटे से खोखे पर रखी गई थी। जैसे-जैसे लोगों को पता चला कि सियालकोट की देगी मिर्च वाले अब दिल्ली में हैं धर्मपाल का कारोबार तेजी से फैलता चला गया। 60 का दशक आते-आते महाशियां दी हट्टी करोलबाग में मसालों की एक मशहूर दुकान बन चुकी थी।

ऐसा बना एमडीएच

महाशय धर्मपाल के परिवार ने छोटी सी पूंजी से कारोबार शुरू किया था, लेकिन कारोबार में बरकत के चलते वो दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में दुकान दर दुकान खरीदते चले गए। गुलाटी परिवार ने पाई–पाई जोड़कर अपने धंधे को आगे बढ़ाया। उन दिनों जब बैंक से कर्ज लेने का रिवाज नहीं था, लेकिन महाशय धर्मपाल ने यह जोखिम उठाया। गुलाटी परिवार ने 1959 में दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाले तैयार करने की अपनी पहली फैक्ट्री लगाई थी। 93 साल के लंबे सफर के बाद सियालकोट की महाशियां दी हट्टी अब दुनिया भर में एमडीएच के रुप में मसालों का ब्रैंड बन चुकी है।

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