मुजफ्फरनगर में एक शख्स हाथों से अखबार लिखकर इलाके में बांटता है। जी हां से एक दम सच है यहां दिनेश नाम का एक शख्स 17 सालों से पेन से अखबार लिखता है और उसको साइकिल पर जाकर लोगों तक पहुंचाता है। सीमीत संसाधनों के बावजूद यह व्यक्ति ये काम कर रहा है। और उसको पूरी उम्मीद है कि एक न एक दिन उसकी आवाज सुनी जाएगी और इंसाफ मिलेगा।
अखबार को लिखने के बाद दिनेश इसे फोटोकॉपी करवाते हैं और अकेले ही लोगों तक पहुंचाते हैं। यह बात मुज़ज्फ्फरनगर के गांधी कालोनी की है, जहां आस-पास फ़ोटोकॉपी किए हुए कुछ अख़बार नुमा कागज़ दीवारों पर चिपके पाए जाते हैं। लोग इसे पढ़ते हैं और आगे बढ़ते हैं।
पत्रकार दिनेश की बात करें तो ये अपने जीवन यापन के लिए के लिए बच्चों को आइसक्रीम और खाने की अन्य चीज़ें बेचते हैं। दिनेश एख वकील बनना चाहते थे लेकिन अच्छ हालात न होने की वजह से उन्होंने सिर्फ आठवीं तक ही पढ़ाई की। हालांकि, समाज के बदलाव का सपना उन्होंने जो देखा था उसके लिए अपनी ओर से हमेशा लगे रहे।
दिनेश का कहना है, “मैं समाज के लिए उपयोगी समाचार लिखता हूं और इससे एक दिन बदलाव जरूर आएगा। मेरे लिखने से यदि किसी एक व्यक्ति का भी भला हो तो मेरा लिखना सार्थक है।”
दिनेश ने भले ही पत्रकारिता की पढ़ाई न की हो, लेकिन वह जो कर रहे हैं, बहुत ही प्रेरणादायक है। स्वतंत्रता आन्दोलन में जिस प्रकार पत्रकारिता को हथियार बनाकर संघर्ष को अंजाम दिया गया था, वह कहीं पीछे छूट गया लगता है। ध्रुवीकरण के दौर में जहां पत्रकारिता का पेशा बदनाम होता जा रहा है। दिनेश जैसे लोग उसे ही सहारा देते नजर आते हैं।