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छत्तीसगढ़ःराहुल गांधी के कर्जमाफी के बयान को किसानों ने गंभीरता से लिया

राहुल गांधी छत्तीसगढ़ःराहुल गांधी के कर्जमाफी के बयान को किसानों ने गंभीरता से लिया

छत्तीसगढ़ः भाजपा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दावों को गंभीरता से ले रही है या नहीं इसका तो पता नही है। लेकिन छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी के राहुल गांधी के दांव को किसान गंभीरता से ले रहे हैं। इसका असर सूबे की मंडियों में धान की खरीद पर साफ देखा जा सकता है। आपको बता दें कि राज्य में धान की खरीद शुरू हुए एक पखवाड़ा हो चुका है। लेकिन हालात ये हैं कि मंडियां खाली पड़ी हैं। दो एक किसान ही धान की फसल बेचने के जाते देख जाएं तो बड़ी बात होती है।

 

छत्तीसगढ़ःराहुल गांधी के कर्जमाफी के बयान को किसानों ने गंभीरता से लिया
छत्तीसगढ़ःराहुल गांधी के कर्जमाफी के बयान को किसानों ने गंभीरता से लिया

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इसका मोके का फायदा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कर्जमाफी का ऐलान बीजेपी के लिए एक बड़ा दांव मान जा रहा है। किसानों को लग रहा है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है और दस दिन में नका कर्ज माफ हो जाता है। इसलिए किसानों का मानना है कि कुठ दिनों और क्यों न धान बेंचने के लिए इंतजार करा जाए। ऐसे सवाल खड़ा होता है कि क्या किसानों का वोट इस बार कांग्रेस को जा रहा है?

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में रायपुर की पाटन की जामगांव मंडी में किसान नहीं दिखाई दिखे।मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि जिला ग्रामीण बैंक और सेवा समिति के कर्मचारियों मंडी में पसरे सन्नाटे के बारे में बात की तो उनका जवाब था, ”एक नवंबर से धान की खरीद तो शुरू हुई, लेकिन अब तक बेहद कम खरीद हुई”।

जब कर्ज माफ हना है तो क्यों पहले बेंचें धान

अचानक किसानों द्वारा मंडी में धान बेचने की कमी पर बैंक समिति के कर्मचारियों ने कहा कि चुनाव का सीजन चल रहा है।वहीं कांग्रेस कर्जमाफी का वादा कर रही है इसलिए किसानों को लगता है कि कुछ दिन धान बेचने के लिए क्यों न रुका जाए। यदि कर्ज माफ होना ही है तो फिर पहले कर्ज चुकाने की क्या आवश्यकता है।

किसानों को इस बात का डर है कि यदि अभी फसल बेच दी तो बैंक कर्ज की राशि वसूल लेगा। आपको बता दें कि इस मंडी में 1019 किसानों का रजिस्ट्रेशन है। लेकिन अब तक 100 ने भी फसल नहीं बेची। जबकि 15 दिन हो चुके हैं। यही स्थिति दुर्ग, सरगुजा जैसे इलाकों समेत राज्य की मंडियों की है बीजेपी के लिए भी चिंता का सबब बन रही है।

महेश कुमार यादव

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