हरदोई। लाखों की लागत से बने एक माह में बदहाल हुए पशुआश्रय स्थल पहुंचे जिलाधिकारी को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों को समझाने के लिए उन्हें काफी देर तक मशक्कत करनी पड़ी। किसानों का कहना है कि ये आवारा पशु उनकी रवी की फसल को खा जाते है ऐसे में ये पशु आश्रयस्थल उनके लिए मुसीबत का सबब बन चुका है। वही जिलाधिकारी ने लोगो को भरोसा दिलाया कि इस पशुआश्रय को आबाद किया जाएगा और किसानों का कोई नुकसान नही होने दिया जाएगा।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के विकासखण्ड अहिरोरी के बहर गांव में एक महीने में ही बदहाल हो चुके चरागाह की 25 एकड़ की भूमि पर बने पशुआश्रय का जिलाधिकारी पुलकित खरे ने मुआयना किया। पशुआश्रय में भरी संख्या में किसान और महिलायें शामिल हुई इस दौरान उन्हें गांव के किसानों महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा इनका कहना है की हमारी फसलों को यह आवारा जानवर जो कुछ तो गांव के हैं और कुछ बाहर से लाकर के छोड़े गए हैं।
यहाँ इनके खाने का कोई प्रबंध नहीं है जिसके चलते इन्हें छोड़ दिया जाता है तो यह हमारी फसलों को खा जाते हैं ऐसे में हम लोगों के सामने समस्या यह है कि कैसे हम लोग जियेंगे ऐसे में हम लोगों का जीना भी मुश्किल हो गया है और बच्चों को पालना भी मुश्किल है।ग्रामीण गाँव से पशु आश्रय हटाने को लेकर अड़े थे। किसानो और महिलाओं के आक्रोश को देखते हुए जिलाधिकारी ने उन्हें काफी देर तक समझाया लेकिन ग्रामीण कुछ सुनने को तैयार नहीं थे ऐसे में जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान को समझाया और आश्वासन दिया।
वहीं जिलाधिकारी पुलकित खरे ने बताया की कोशिश ये है की ये पशुआश्रय को जीवंत रखा जाय इसकी आमदनी कुछ ऐसी हो की आगे के चारे की व्यवस्था यहाँ के देखभाल करने वालों की व्यवस्था वो इस पशु आश्रय स्थल से खुद ही होने लग जाए सभी से चर्चा की गयी कि किस तरह इसको आगे बढ़ाया जाय कोई नई चीज शुरू होती है तो उसको लेकर लोगो को आशंकाएं होती है जो दूर गाँव से लोग आकर अपने जानवरों को छोड़ जाते थे वो जानवर आसपास के खेतों को चर दे रहे है।हमने इन सभी बिंदुओं पर सभी से बात की है और व्यवहारिक निराकरण निकालने की कोशिश है।
साथ ही तत्कालीन जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना के निर्देशन में पर पशु आश्रय स्थल का निर्माण मनरेगा राज्य वित्त आयोग 14 वा वित्त आयोग और ग्राम निधि के माध्यम से कराया गयाथा चारागाह की भूमि की चारों ओर से बैरिकेडिंग की गयी थी और एक टीन शेड डलवाकर आवारा पशुओं के रहने की व्यवस्था की गयी थी। लेकिन यह पशु आश्रय एक महीने में ही बदहाल हो गया . कुछ दिन तक तो पशुओं को चारा मिला लेकिन बाद में उन्हें चारा मिलना भी बंद हो गया जिसकी वजह से जानवर बाहर निकल आए और लोगों की फसल को खाने लगे ऐसे में ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया और कुछ गाय भी अपने अंतिम दिन गिनने लगी इस बदहाली और ग्रामीणों की परेशानी को सुनकर पशुआश्रय पहुंचे थे।