नई दिल्ली। बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण के चलते नीतीश कुमार ने महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए साफ किया कि इस महागठबंधन के दबाव में अब सरकार चलना मुश्किल हो रहा था। हालात ऐसे थे कि जनता को जबाब देना अब मेरे बस में नहीं था। बार-बार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जबाब मांगने के बाद भी सहयोगी पार्टी की तरफ से कोई जबाब नहीं आया जिसके बाद आत्मा की आवाज के बाद मैने अपना इस्तीफा दे दिया है।
इसके बाद जब पत्रकारों ने नीतीश कुमार से आगे के रूख के बारे में पूछा तो उन्होने साफ कहा कि ‘मैंने बार-बार कहा है कि कफन में कोई जेब नहीं होती है जो भी है वह यहीं रहेगा आगे-आगे देखिए क्या होता है। इसके बाद लालू यादव ने नीतीश कुमार पर एक के बाद एक आरोपों की झड़ी लगा दी गई । उन्होने कहा कि नीतीश कुमार के दामन पर खुद दाग लगे हैं। वो जब खुद दागी हैं तो दूसरे को दागी बता रहे हैं।
वहीं इस मामले में महागठबंधन के उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव ने राजभवन तक अपने समर्थकों के साथ मार्च कर नीतीश कुमार और बीजेपी के समर्थन की सरकार के आज होने वाले शपथग्रहण को रोकने की गुहार लगाते हुए राज्यपाल से मुलाकात की। राज्यपाल से तेजस्वी की मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए नीतीश कुमार पर पलटवार करते हुए कहा कि मैं तो बहाना था उनको बीजेपी की गोद में जाना था। मेरे जैसे निर्दोष के दोषी बताकर नीतीश कुमार ने लोकतंत्र का गला घोटा है।