पटना। बिहार में उठा राजनीतिक घमासान के बीच जब कल नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव पर महागठबंधन सरकार को ना ठीक से चलाने देने का इल्जाम लगाते हुए उन्होने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होने कहा कि बार बार भ्रष्टाचार के मामले में हमने सफाई देने को कहा था लेकिन तेजस्वी ने कोई सफाई नहीं दी । जिसके बाद ऐसे हालत में आत्मा की आवाज पर हमने अपना इस्तीफा दे दिया है।
नीतीश कुमार के बयान के बाद लालू यादव ने प्रेस कर नीतीश के ऊपर कई संगीन आरोप लगाए उन्होने कहा कि नीतीश कुमार खुद आरोपी हैं उनके ऊपर 302 का मुकदमा है फैसला आने वाला है उस पर स्टे ले लिया है। अब वो सजा से बचने के लिए भाजपा के पाले में जा रहे हैं। भ्रष्टाचार से बड़ा है हत्याचार और नीतीश कुमार हत्याचारी हैं। हांलाकि इसके बाद उन्होने अपने गुस्से को संभालते हुए कहा कि अगर नीतीश चाहते हैं कि गठबंधन बना रहे तो ठीक है ना नीतीश कुमार ना तेजस्वी कोई और संभाले सत्ता राजद, जेडीयू और कांग्रेस का ये महागठबंधन चुके तीसरे को लेकिन जेडीयू ने अब लालू से नाता जिस मोड़ पर तोड़ा था उसमें वापसी की गुंजाइश नहीं रही थी।
उधर विपक्षी दल के तौर पर भाजपा ने अब अपने पत्ते खोलते हुए नीतीश कुमार को समर्थन देने और सरकार में शामिल होने की घोषणा कर राज्यपाल को समर्थन देने के सन्दर्भ में सूचित किया। जिसके बाद नीतीश कुमार के आवास पर जेडीयू और भाजपा के विधायकों की एक आपात बैठक आहुत की गई। 20 महीनो तक राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन सरकार का अंत हुआ ।
उधर तेजस्वी यादव के समर्थन में राजद विधायकों ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात कर सूबे में जनमत के आधार पर बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का पहले मौका दिए जाने का प्रस्ताव पेश किया है। लेकिन नीतीश कुमार सरकार के अल्पमत में आने के बाद पहले राज्यपाल सदन का विशेष सत्र आहुत कर उन्हें बगहुमत साबित करने का मौका देगा। इसके बाद ही कोई निर्णय होगा।