लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक लगा दी है।
उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रत्येक गांव में आइसीयू सुविधाओं के साथ दो एंबुलेंस उपलब्ध कराने के हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि, प्रदेश में 97,000 गांव हैं और एक महीने की समय सीमा तक यह लागू करना असंभव है।
सरकार विरोध में ना ले टिप्पणी
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के यूपी में ‘भगवान भरोसे चिकित्सा व्यवस्था’ टिप्पणी वाले फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, इस टिप्पणी को उत्तर प्रदेश सरकार विरोध में ना ले बल्कि एक सलाह के तौर पर ले।
साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट को नसीहत भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, उच्च न्यायालय कोविड प्रबंधन मामलों से निपटने के दौरान उन मुद्दों से बचे, जिनका अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट अखिल भारतीय मुद्दों से निपट रहा है।
नर्सिंग होम में ऑक्सीजन बेड वाले फैसले पर भी रोक
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि, सभी उच्च न्यायालयों को अपने आदेश को लागू करने की व्यावहारिकता पर विचार करना चाहिए। उन्हें उन आदेशों को पारित नहीं करना चाहिए, जिन्हें लागू करना असंभव है। शीर्ष अदालत ने हर नर्सिंग होम में ऑक्सीजन बेड होने वाले फैसले पर भी रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि यूपी के गांव-कस्बों में कोविड संक्रमण फैलने और चिकित्सा सुविधाओं की कमी को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चिंता जाहिर की थी। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार ने कहा था कि, गांवों कस्बों में टेस्टिंग बहुत कम हो रही है।