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किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कानून के अमल पर न दें जोर, अभी के लिए लगाएं रोक

5093a582 3b4a 4cd5 9733 a5a2832960eb किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कानून के अमल पर न दें जोर, अभी के लिए लगाएं रोक

नई दिल्ली। देश में चल रहे कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को आज 47वां दिन है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के चारों ओर डटे हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच 8 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन किसी में भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। देश का अन्नदाता इस कड़कड़ाती ठंड में अपने हक की लड़ाई के लिए आंदोलन पर बैठा है। इसके साथ ही किसान आंदोलन का मुद्दा 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। जिसके चलते आज किसानों के मुद्दों पर सुनवाई हो रही है। किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। एटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया है कि सभी पक्षों में बातचीत जारी रखने पर सहमति है। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम बहुत निराश हैं। पता नहीं सरकार कैसे मसले को डील कर रही, किससे चर्चा किया कानून बनाने से पहले। कई बार से कह रहे हैं कि बात हो रही है। क्या बात हो रही है।

सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए- वकील साल्वे 

बता दें कि चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है। इसके बाद साल्वे ने कहा कि कम से कम आश्वासन मिलना चाहिए कि आंदोलन स्थगित होगा। सब कमिटी के सामने जाएंगे। इस पर CJI ने कहा कि यही हम चाहते हैं, लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता। हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे। यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें। कानून के खिलाफ याचिका करने वाले एम एल शर्मा ने 1955 के संविधान संशोधन का मसला उठाया। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम फिलहाल इतने पुराने संशोधन पर रोक नहीं लगाने जा रहे हैं। इसके साथ ही याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए। लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। कानून पर रोक लगने के बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे।

चीफ जस्टिस ने कमेटी बनाने के लिए कहा-

इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं। लोग मर रहे हैं। आत्महत्या कर रहे हैं। हम नहीं जानते क्यों महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है। खैर, हम कमिटी बनाने जा रहे हैं। किसी को इस पर कहना है तो कहे। वहीं सॉलिसीटर जनरल ने कहा है कि बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे। इसलिए, हम इस पर नहीं जाना चाहते हैं। अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं। आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं। नहीं तो हम लगा देंगे।

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