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गोधरा कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई याचिकाकर्ता को फटकार

Supreme Court, Godhra case

नई दिल्ली। साल 2002 में गुजरात के गोधरा में हुई दंगों के बाद इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को कटघरे में खड़ा कर दिया है। तीस्ता अपने सहयोगी रईस खान पठान के खिलाफ जांच का विरोध कर रही हैं। इस मामले में तीस्ता ने शीर्ष अदालत में निजली अदालत के जांच कराने के फैसले को चुनौती दी है। अब इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता से कड़े सवाल पूछे हैं।

Supreme Court, Godhra case
SC rebukes petitioner in Godhra case

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और अमिताव राव ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि निचली अदालत के निर्णय पर उच्च न्यायालय ने भी मुहर लगाई थी। इसके बाद ये साफ है कि बिना जांच के इस बारे में कोई आदेश नहीं हो सकता है। ये अपराध गंभीर श्रेणी का है जिसने भी इसे किया वह एक गंभीर अपराध है। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि यातो सीतलवाड और उनका संगठन गलत है या फिर रईस खान पठान गलत है।

हांलाकि इस मामले में तीस्ता की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने तीस्ता का पक्ष रखते हुए साफ किया है इस मामले में पठान के खिलाफ जांच की जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है उस पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अदालत ने गवाह बनाने की उसकी याचिका पहले ही खारिज कर दी है। इस मामले में गुजरात सरकार के सालीसिटर जनरल तुषार मेहता और पठान की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि सीतलवाड़ या उनका संगठन का ही निचली अदालत में पैरोकार था ना उच्चन्यायालय में इसलिए इस मामले में दखल देने का उनका कोई औचित्य नहीं है। अब इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने इसे संक्षिप्त सुनवाई के बाद आने वाली 21 तारीख के लिए सूचीबद्ध कर लिया है। वह अदालत इस मामले के कानूनी पहलू पर विचार करेगी।

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